दीपक की लौ तले पढ़ने का
बारात में पंगत में बैठने का
दाँतों से नाखुन चबाने का
बागों से अमरुद खाने का
बेरियों से बेर तोड़कर लाने का
पत्थर मार-मार आम गिराने का
बारिश में जामुन तोड़ने जाने का दौर की कुछ और था
स्कूल से फूटकर खेतों में घूमने का
रिश्तेदार आने पर स्कूल नहीं जाने का
रेलिंग वाले खंबे पर चढ़ जाने का
बैठे-बैठे नाक-कान खुजलाने का
छोटों पर बिना वजह रौब जमाने का
अमीरों को लाला बुलाने का
कटी हुई पतंग लूटने का
बार-बार मांगकर प्रसाद खाने का
किराए की साइकल देर तक चलाने का
बाद में बिना कमीज के घर जाने का
लड़कियों को घूर-घूर कर देखने का
शेयरो शायरी अपनी डायरी में जचाने का
खोटे सिक्के से पब्लिक फोन घुमाने का
बार-बार कपड़े बदलने का दौर की कुछ और था
बाथरुम सिंगर कहलाने का
थूक से टिकट चिपकाने का
घर से गायब होकर सिनेमा देखने जाने का
सिनेमा हॉल की सीट से स्पंज निकालने का
चलती ट्रेन के बाहर लटकने का
ऑफिस में देर तक बैठने का
फाइल को तेज पहिए लगाने का
बुलाने पर भी ससुराल नहीं जाने का
गए तो बारमबार धौंस जमाने का
साली को आधी घरवाली बुलाने का दौर की कुछ और था