आई पतंगों की बेला
है
चहुं ओर पतंगों का
रेला है
मौसम नई ख्वाहिशों का है
माँ-बाप ने करदी ढीली जेबें
निकले शौकीन ले बहुरंगी
पतंगें
चाइनीज हो या डोर
बरेली
आई-बो----ओ सुनता रोज
बोर हो या संध्या का दौर
उड़ा रहे सब मचाकर
शोर
केजरीवाल, राहुल या
हों मोदी
नहीं दिखती इनमें फूटपरस्ती
मोहल्ला-मोहल्ला बस्ती-बस्ती
उड़ाते इन्हें सब
ले-ले मस्ती
उड़ें गगन में हो
डोरसवार
एंठती और इठलाती पतंगें
आसमान में करतीं घुसपैठ
आपस में पेंच लड़ाती
पतंगें
लालटैन ले उड़जाती
पतंगें
छतों पर खड़ी अनेक टोलियां
हाथों में ले छोटी-बड़ी पतंगें
हाथों में थामें-थामें
डोरियां
कराती मेल आकाश
टोलियां
कुछ छतों से गिर रहे हैं
कुछ के पसीने छूट रहे हैं
कुछ की पतंगें कट
रही हैं
राहगीरों की गर्दन चीर
रही हैं
कुछ ढांगी ले लूट रहे हैं
मोलभाव कर बेच रहे हैं
आई पतंगों की बेला
है
चहुं ओर पतंगों का
मेला है
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मैं राजनीति शास्त्र एवं हिंदी में एम.ए हुं, अपने विभाग में यूनियन का अध्यक्ष रह चुका हुं, जिला इंटक बठिंडा का वरिष्ठ उप प्रधान रह चुका हुं, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, बठिंडा एवं भुवनेश्वर का सदस्य-सचिव रह चुका हुँ, वर्तमान में अखिल भारतीय कर्मचारी भविष्य निधि राजभाषा संघ का सलाहकार हूँ, आयकर विभाग में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत रह चुका हुँ, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर हिंदी मामलों से संबंधित विशेषज्ञ पेनलों एवं हिंदी संगोष्टियों का हिस्सा रह चुका हुं, अलग-अलग नाम से विभागीय और नराकास की 12 से भी अधिक पत्रिकाओं का संपादक रह चुका हुँ, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से राजभाषा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात जुलाई, 2019 से बतौर परामर्शदाता कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय में तैनात हूँ, 05 वर्ष तक श्री साईं कॉन्वेंट स्कूल, अमृतसर के प्रधानाचार्य का पद संभाला और कुछ समय तक एनडीएमसी, दिल्ली के सोशल एजुकेशन विभाग के कौशल विकास अनुभाग का कार्य भी देखा। मनसुख होटल और करतार होटल अमृतसर का प्रबंधक रह चुका हूँ , भाषाकेसरीओएल के नाम से मेरा यूट्यूब चैनल है और स्वयं की ओर से लिखित पुस्तकों का लेखक भी हूँ ।D