अपना खुद का तो कुछ भी नही है. लेकिन जब मालूम होता है कि इंडियनऑयल दुनिया की फार्च्यून 500 कम्पनियों में एक है तो ऐसा लगता है कि हम खुद फार्च्यून लिस्ट में आ गए. जब ये एहसास होता है कि भारतीय सेना दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी फ़ौज है तो लगता है कोई अपना भी वजूद है विशाल हिमालय भी अपना लगने लगता है और दुनिया के हर मानचित्र पर हिंद महासागर लिखा देख भी एक बृहद अनुभूति होती है.
लेकिन आज इन्टरनेट में कई दिन बाद जब फार्च्यून की ग्लोबल टॉप 500 की फ़ेहरिस्त देखी तो लगा जैसे अपने ही खाते से सब कुछ निकल रहा हो. इंडियन आयल 119 वें स्थान से खिसक कर 161 नंबर पर लुढ़क गयी है और रिलायंस इंडस्ट्रीज 158 से 215 पर फिसल गयी. मुमक़िन तौर पर ढीले होते रुपए की क़ीमत दौलत की इस सीढ़ी से खिसकने से फिसलने का मुख्य कारण है.
लेकिन तकलीफ रिलायंस के फिसलने की इतनी नही है. असली तकलीफ तो दुनिया के कारोबार में चीन की बेतहाशा बढ़ती ताकत को देखकर है. ग्लोबल टॉप 500 की ये फ़ेहरिस्त चीन की कम्पनी के नामो से भरी पड़ी है. टॉप 500 जाने दीजिये ..टॉप 5 देख कर आपको गश्त आ जायेगा. पहले पायदान पर अमेरिका की वालमार्ट है जो कई बरसों से दुनिया की सबसे बड़ी कम्पनी मानी जाती है. लेकिन वालमार्ट के बाद अमेरिका का सिक्का गायब हो जाता है. क्योंकि दुनिया की नंबर दो कम्पनी अब चीन की Stategrid है जिसमे 9 लाख कर्मचारी काम करते हैं. Stategrid वैकल्पिक ऊर्जा से जुड़ी है. दुनिया की तीसरी बड़ी कम्पनी CNPC यानी चीन पेट्रोलियम है. जिसमे 15 लाख से ज्यादा लोग काम करते है. दुनिया की चौथे नंबर की कम्पनी भी चीन की है नाम है Sinopec Group और ये पेट्रोल रिफाइनिंग के काम से जुड़ी है.
मित्रों, लिस्ट देखते जाइये और चीन की ताकत का अंदाज़ा लगाते लगाते आप हीन भावना से ग्रसित होने लगेंगे. आपको अपनी हैसियत दिखने लगेगी. एक देश जो 1968 में ढंग की ट्रैन नही बना पाया ..जहाँ दूध बड़ी मुश्किल से शहर पहुंचता था और जो देश 1978 तक भुखमरी से लड़ रहा था ...उसने दो दशकों में दुनिया पलट दी है. चीन सुपर पावर है. ये हम नहीं यूरोप और एशिया कह रहा है.
वक़्त आ गया जब हमारा देश.... फिल्मो से लेकर न्यूज़ चैनल, स्कूलों से लेकर सरकारी दफ्तर और किराने की दुकान से लेकर व्हाट्सएेप ग्रुप तक ... बस एक बात सोचे....
चीन से आगे बढ़ना है.
वरना याद रखियेगा
आने वाले चंद बरसों में बेरोज़गारी आपके बच्चों की कमर तोड़ देगी.