दिल्ली : नोटबंदी के बाद भले ही सरकार करती रही हो कि उसने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सलाह पर नोटबंदी का फैसला लिया. लेकिन अब इस मामले में आरबीआई की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस फैसले पर कई सवाल खड़े हो गये है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ताजा जानकारी देते हुए बताया कि सेंट्रल बोर्ड ने 2000 रुपये के नए नोट छापने की मंजूरी पिछले साल के मई महीने में ही दे दी थी. लेकिन इसके साथ यह भी कहा कि 500 और 1000 के रुपये के नोट बंद करने को लेकर किसी भी तरह की चर्चा नहीं हुई थी.
द इंडियन एक्सप्रेस के द्वारा डाले गए आरटीआई का जवाब देते हुए आरबीआई ने कहा कि सेंट्रल बोर्ड ने 2000 के नए नोट छापने की मंजूरी 19 मई 2016 को दी थी. आरटीआई के जवाब में कहा गया कि मई 2016 में बोर्ड मीटिंग के दौरान 500 और 1000 रुपये के नोट को बंद किए जाने को लेकर किसी भी तरह की चर्चा नहीं की गई थी और ना ही 7 जुलाई और 11 अगस्त को हुए बोर्ड मीटिंग में इसको लेकर कोई बातचीत की गई थी. रिजर्व बैंक ने बताया कि जब 2000 रुपये के नए नोट छापने पर सहमति बनी तब रघुराम राजन रिजर्व बैंक के गवर्नर थे.
इस रिपोर्ट के आज प्रकाशित होने के बाद ट्विटर पर प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं. वकील प्रशांत भूषण ने ट्विटर पर लिखा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि नोटबंदी का निर्णय नरेंद्र मोदी का था. आरबीआई को सूचना दी गई और उसने हामी भरी. इसके प्रभावों पर कोई विचार नहीं किया गया.