नई दिल्लीः भारत और चीन। जनसंख्या के मामले में पहले और दूसरे नंबर के देश। मगर, रियो ओलंपिक में प्रदर्शन देखिए। अब तक चीन के खाते में 30 तो भारत की झोली में एक भी पदक नहीं है।
सवा अरब की जनसंख्या वाले भारत की रियो ओलंपिक में इस दुर्दशा ने पड़ोसी और प्रतिद्वंदी चीन को मजाक उड़ाने का मौका दे दिया है। भारत की पदकों से बोहनी न होने पर चीन के कस्बे-कस्बे खिल्ली उड़ रही है। चीन मीडिया से जुड़ी वेबसाइट Toutiao.com ओलंपिक शुरू होने के बाद से कई रिपोर्ट पेश कर भारत के ओलंपिक में बुरे हाल पर निशाना साध रहा है। चीनी मीडिया कह रहा कि दुनिया में जनसंख्या का छठां हिस्सा समेटने के बाद भी भारत का यह हाल है। पिछले 2012 के लंदन ओलंपिक में भारत को सिर्फ छह पदक मिले, जिसमें कोई सोना नहीं रहा।
चीनी मीडिया ने पदक न मिलने के बताए सात कारण
रियो ओलंपिक ही नहीं। हॉकी का सुनहरा दौर खत्म होने के बाद से ओलंपिक में पदकों के लिए तरसना भारत की नियति बन गई। ओलंपिक में पदक क्यों नहीं मिलते हैं, भारत सरकार या खेल कूद मंत्रालय भले ही इसकी समीक्षा करने को फुर्सत नहीं है, मगर, चीनी मीडिया ने समीक्षा कर सात कारण निकाले हैं। कहा है कि इसी कारण से भारत ओलंपिक में फिसड्डी है।
कारण-1-खिलाड़ी जूझ रहे संसाधनों से
चीनी मीडिया ने समीक्षा में कहा है कि भारतीय खिलाड़ियों को सरकार उचित संसाधन नहीं दे रही है। जिससे खिलाड़ी बेहतर अभ्यास न कर पाने के कारण एथलेटिक्स आदि खेलों में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
कारण(2)-युवाओं का खराब स्वास्थ्य
चीनी मीडिया ने भारतीय युवाओं की सेहत पर भी सवाल खड़े किए हैं। कहा है कि भारतीय युवा स्वास्थ्य मानकों को लेकर सजग नहीं हैं। शारीरिक कमजोरी के कारण बाजुओं के दमखम वाले खेलों में विदेशी खिलाड़ियों का मुकाबला नहीं कर पा रहे।
कारण(3) लड़कियों को बढ़ावा न मिलना
चीनी मीडिया का कहना है कि भारतीय लोग लड़कियों को लेकर आज भी प्रगतिवादी सोच नहीं रखते। गांवों की लड़कियों को खेलों में आगे बढ़ने के मौके नहीं मिल पा रहे। जिससे भारत के पास ओलंपिक वाले खेलों के लिए बेहतर महिला खिलाड़ी भी नहीं हैं।
4-मां-बाप बच्चों को डॉक्टर-इंजीनियर के सिवा कुछ देखना नहीं चाहते
भारतीय मां-बाप बच्चों के करियर के मामले में आज भी ज्यादा विकल्प नहीं रखते। वे परंपरागत डॉक्टर-इंजीनियर के अलावा अन्य विकल्पों के बारे में ज्यादा नहीं सोचते। खेलों में बच्चों को आगे बढ़ने के लिए बहुत कम मां-बाप प्रेरित कर रहे।
5-भूल गए हॉकी का गौरव
चीनी मीडिया ने खेल में भारत की हर कमजोर नस पकड़ी है। कहा है कि जो हॉकी कभी भारत को दुनिया का सरताज बनाती थी, उसी खेल को भारत ने उपेक्षित कर दिया। जिससे भारत को सबसे ज्यादा गोल्ड दिलाने वाले हॉकी में अब भारत को लंबे अरसे से ओलंपिक में पदक नसीब नहीं हो रहे।
6-क्रिकेट के आगे दूसरे खेलों की उपेक्षा
चीन ने भारत को सिर्फ क्रिकेट में आगे बताया है। चीनी मीडिया रिपोर्ट में कह रहा कि भारत के लोग क्रिकेट में इतने डूबे हैं कि दूसरे खेलों की सुधि ही नहीं ले रहे। जिससे अन्य खेलों में बुरा हाल है।
7-गरीबी से भी नहीं निकल रहे खिलाड़ी
चीन मीडिया से जुड़ी वेबसाइट Toutiao.com ने खेलों में भारत की दुर्दशा के लिए देश में गरीबी को भी जिम्मेदार ठहराया है। गरीबी के कारण महंगे संसाधनों वाले खेलों की तरफ भी खिलाड़ी रुख नहीं कर पाते हैं, भले ही उनमें कितनी ही प्रतिभा क्यों न हो।