नई दिल्लीः तस्वीर देख रहे हैं आप। टिनशेड और छोटे से मैदान वाला यह अगरतला का विवेकानंद व्यायामगार है। पहली नजर में यह बहुत गया गुजरा स्थान लगेगा। मगर, आप जानकर चौक जाएंगे कि इस ऊबड़-खाबड़ बदहाल व्यायामगार में देश के जिम्नास्ट की नर्सरी पैदा होती रही है। आप जानकर तब और हैरान रहेंगे कि रियो ओलंपिक में भारत की जिम्नास्टिक में बड़ी खोज मानी जाने वाली 23 साल की दीपा ने भी बचपन में स्पर्धा का क...ख...ग यहीं सीखा। यहीं नही दीपा के कोच बिश्वेश्वर नंदी भी इसी सेंटर की पैदाइश हैं।
अंधेरे में भी जगमगाती रही दीपा, सेंटर को आज भी छत नसीब नहीं
ट्रेनिंग सेंटर को देखकर ही आपको पता चल रहा होगा कि दीपा ने कितनी बदहाली में ट्रेनिंग ली। दीपा को हमेशा असुविधाओं के अंधेरे का सामना करना पड़ा। मगर, इस लड़की ने हार नहीं मानी और अंधेरे को चीरकर उजाला कर आगे बढ़ती रही। और आखिरकार दीपा ने अपना नाम सार्थक कर दिया। अफसोस की बात है जिस अगरतला के विवेकानंद व्यायामगार की दीपा पैदाइश रही, जहां उसने जिम्नास्टिक का पहला पाठ सीखा, वह आज भी वहां बिना टिनशेड का है। हालांकि रियो में दमदार प्रदर्शन करने वाली दीपा की उपलब्धि से इस व्यायामगार का नाता होने की बात सामने आई तो अब इसकी हालत सुधारने की सुधि ली जा रही है।
रिटायर्ड फौजी ने अगरतला में जिम्नास्ट्स की रोपी नर्सरी
1960 के दशक में दिलीप सिंह नामक शख्स भारतीय सेना से रिटायर हुए तो एनआइएस पटियाला में जिम्नास्टिक की ट्रेनिंग देने लगे। कुछ समय के बाद दिलीप सिंह त्रिपुरा चले गए। वहां बिना छत वाले विवेकानंद व्यायामगार को चुनकर जिम्नास्ट तैयार करने की सोची। 60 के दशक में ही पहली बैच के लिए युवाओं को तराशकर मिशन में जुट गए।
अगरतला से निकलने लगे चैंपियन
दिलीप सिंह ने जब विवेकानंद व्यायामगार में ट्रेनिंग देनी शुरू की तो कई युवा कैंप में हिस्सा लेने लगे। इसमें से एक भारत किशोर ने कड़ी मेहनत की तो नेशनल जूनियर चैंपिय़न का सफर तय किया। इसके बाद दिलीप सिंह ने मंटू देवनाथ को ट्रेंड किया तो उनके लाजवाब प्रदर्शन पर भारत सरकार ने अर्जुन अवार्ड से नवाजा। मंटू देवनाथ त्रिपुरा के पहले अर्जुन अवार्डी रहे।
शिष्यों को बारीकियां सिखाने खुद ट्रेनिंग लेने रूस गया दीवाना फौजी
देश में जिम्नास्ट की नर्सरी खड़ी करने के लिए फौजी दिलीप सिंह पर दीवानगी छाई रही। इस दीवानगी का आलम रहा कि यह शख्स जिम्नास्टिक के लिहाज से उस दौर में सबसे समृद्ध माने जाने वाले रूस में ट्रेनिंग लेने का फैसला किया। कुछ समय के लिए 60 के दशक में ही दिलीप सिंह रूस गए और वहां से टिप्स लेकर आए और अपने सेंटर के खिलाड़ियों को तमाम बारीकियों से रूबरू कराया।
दीपा के गुरु नंदी भी रहे दिलीप सिंह के शिष्य
अगरताल के विवेकानंद व्यायामगार में एक और शख्श ने ट्रेनिंग ली। इस युवा का नाम रहा विश्वेश्वर नंदी। उस दौर में नंदी ने जिम्नास्टिक के कई इवेंट में चैंपियनशिप जीती। वही नंदी आज 23 साल की दीपा कर्माकर के कोच हैं, जो रियो ओलंपिक में भारत के लिए एक बड़ी खोज साबित हुई है।