नई दिल्ली : मोदी सरकार का रक्षा मंत्रालय इस बात पर ख़ास ध्यान दे रहा है कि उनके कार्यकाल में भी कोई बोफोर्स या अगुस्ता वेस्टलैंड जैसा घोटाला न हो। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपने नए आदेश में मंत्रालय की तमाम फाइलों को उनके जूनियर मंत्री सुहास भांबरे तक को न दिखाने का आदेश दिया है। आदेश में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय की महत्वपूर्ण गोपनीय फाइलों और कामकाज से जुडी तमाम फाइलों को रक्षा मंत्री पर्रिकर के अलावा कोई नहीं देख सकता।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार नया आदेश सूचनाओं के लीक होने के डर और रक्षा मामलों से जुडी किसी खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी से बचने के लिए दिया गया है। पिछले राज्यमंत्री इंदरजीत राव के राज्यमंत्री रहते हुई एक घटना के कारण भी पर्रिकर चौकन्ने हुए हैं। उन्हें इसीलिए अपने जूनियर मंत्री के हाथों ये अधिकार छीनने के लिए मजबूर होना पड़ा। अब सशस्त्र बलों, कोस्ट गार्ड, और डीआरडीओ समेत कई महत्वपूर्ण फाइलें सीधे पर्रिकर के पास भेजी जाएंगी। जबकि इससे पहले इन फाइलों को देखने का अधिकार उनके जूनियर मंत्री के पास भी था।
पूर्व रक्षा राज्य मंत्री इंदरजीत सिंह के कार्यकाल के दौरान एक फैसले पर रक्षा मंत्रालय के अंदर विवाद हो गया था। इस फैसले में इंदरजीत राव ने इतालवी कंपनी बेरेटा को सेना को कार्बाइन देने का ठेका दिए जाने पर जोर दिया था। सिंह ने सेना और रक्षा मंत्रालय की खरीद इकाई पर आरोप लगाए थे कि वह ठेके देने के लिए अनुचित तरीके से चयन कर रही है। इंदरजीत राव ने इस मामले की जाँच सीबीआई से तक करवाने की बात कही थी।