नई दिल्लीः यूपी में तीन चौथाई के प्रचंड बहुमत मिलने के बाद नई भाजपा सरकार के सामने पांच बड़ी चुनौती है। अगर सरकार इन पांच चुनौतियों से पार पा जाती है तो फिर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना आसान होगा। ये पांच चुनौतियां से निपटना नई सरकार के लिए प्राथमिकता होगी। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि वे जिसे भी सीएम बनाएंगे, उसे बैठने नहीं देंगे। यानी यूपी की सेहत संवारने के लिए नए मुख्यमंत्री को दिन-रात एक करना होगा।
कानून व्यवस्था सबसे बड़ा मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर चुनाव में अखिलेश सरकार को घेरते रहे। बहन-बेटियों की सुरक्षा का मुद्दा मोदी हर जगह उठाते रहे। बुलंदशहर हाईवे पर पिछले साल हुए गैंगरेप ने पूरे देश में हल्ला मचा दिया था। मोदी रैलियों में थानों के सपा का दफ्तर रैलियों के मंच से थानों को सपा का दफ्तर की बात कहते नहीं थके थे। ऐसे में भाजपा के लिए भी यह मुद्दा बड़ी चुनौती है। देखना है नई सरकार कैसे काम करती है।
बेरोजगारी
दिल्ली, मुंबई, सूरत और पंजाब जाने वाली ट्रेनों में आज भी यूपी के लोग उसी तरह भरकर मजदूरी करने जाते हैं। जैसे पहले जाते थे। वजह कि 14 साल के गठबंधन सरकारों के राज में यूपी को नेताओं ने सिर्फ लूटा। 2007 से बहुमत की सरकार बनने का ट्रेंड भी शुरू हुआ, मगर न तो बसपा ने और न ही सपा ने रोजगार के लिए कोई ठोस प्रयास किए। अब देखना है कि नई सरकार यूपी के युवाओं को रोजगार देने के क्या प्रयास करती है। इस मोर्चे पर सफलता ही अगली बार चुनाव में जीत का मार्ग प्रशस्त करेगी, नहीं तो जिस तरह जनता ने प्रचंड जनादेश दिया है, उसी तरह धूल भी चटा सकती है।
अतिवादी संगठनों पर अंकुश लगाना
भाजपा की प्रचंड जीत के बाद विरोधी दलों की ओर से मुसलमानों के लिए अनुकूल माहौल न होने की बात प्रचारित की जा रही है। हार के बाद खीझ मिटाने के लिए विरोधी दलों के नेता फसाद की साजिशें भी रच सकते हैं। कुछ अतिवादी हिंदू संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं की ओर से बयानबाजी और पोस्टर लगाने की बात आ रही है। जो सामाजिक समरसता में बाधक बन सकती है। ये सब बातें विरोधी दलों को मौका देंगी नई सरकार को घेरने के लिए। अगर यूपी के कुछ हिस्सों में हिंदू-मुस्लिम टकराव की नौबत बनती है तो यह सरकार के लिए मुसीबत बनेगी। विरोधी दल हंगामा मचाएंगे। वहीं सरकार की ऊर्जा टकराव रोकने में ही जाया होगी। जिससे विकास पर असर पड़ेगा।
कर्जमाफी
प्रधानमंत्री मोदी ने रैलियों में दावा किया कि भाजपा सरकार पहली कैबिनेट बैठक में ही किसानों के कर्जमाफी का फैसला करेगी। तीन चौथाई बहुमत से भाजपा सत्ता में आई है तो अब इस वादे को पूरा करना चुनौती है। क्योंकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मुखिया ने साफ कह दिया है कि कर्जमाफी का फैसला नुकसानदायक है। पार्टियों को चुनावों में ऐसी घोषणाएं नहीं करनी चाहिए। 84 हजार करोड़ रुपये का भार राजकोष पर पड़ने की बात कही जा रही है। अब देखना है भाजपा सरकार क्या रास्ता निकालती है।
संपन्नता लाने की चुनौती
यूपी में दशकों पहले जो औद्यौगिक कारखाने लगे भी थे तो वे गलत सरकारी नीतियों के कारण अधिकांश बंद होते गए। मोदी के संसदीय इलाके बनारस में ही आधे से ज्यादा कारखाने बंद हो गए। बिना उद्योग धंधों के किसी राज्य के संपन्नता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भाजपा की हुकूमत वाले कई राज्यों में औद्यौगिक सुविधाएं मिलने से कल-कारखानों का विकास हुआ है। ऐसे में यूपी में भी यह माहौल करना नई सरकार के लिए चुनौती है।