आने वाले वक़्त में अमेरिका में 20 प्रतिशत बच्चों को रोज़गार नही मिलेगा. यानी सुपरपावर अमेरिका के हर पांचवे बच्चे का भविष्य अंधकारमय है. 21 वी सदी के अमेरिका के इन बच्चों को 'चिल्ड्रन ऑफ़ पावर्टी' कहा जा रहा है और सारे अर्थशास्त्री इनके और देश के भविष्य को लेकर चिंतित है.
अपने बच्चों की गरीबी दुनिया से छिपा रहा है सुपर पावर
अमेरिकी पत्रकार और न्यू यॉर्क टाइम्स के स्तंभकार निकोलस क्रिस्टॉफ कहते हैं कि अमेरिका की इस कड़वी हकीकत को दुनिया से छिपाया जा रहा है. निकोलस बताते हैं कि अमेरिकी घर में टीवी है, फ्रिज है, वाशिंग मशीन है लेकिन फिर भी 6 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या गरीब है. दरअसल गरीबी का पैमाना अब साजो सामान नही रहा. गरीबी के नए पैमाने पर बच्चों के भविष्य को भी आँका जा रहा है. अगर बच्चे स्कूल ड्राप आउट हैं या नशे की गिरफ्त में है या अपराध की अंधी गली में कदम बढ़ा चुके हैं तो उन्हें 'चिल्ड्रन ऑफ़ पावर्टी' के खांचे में रखा जाता है.
न्यू यॉर्क टाइम्स ने खुलासा किया है कि चिल्ड्रन ऑफ़ पावर्टी के मामले में अमेरिका आज रूस, हंगरी और कनाडा से भी पिछड़ गया है. अमेरिका के कुछ हिस्सों में हालात ये हैं कि घर में बिजली के उपकरण तो है लेकिन बिजली की तार में करंट नही दौड़ रहा है. बिजली का बिल न देने पर हज़ारों घरों की बिजली सरकार को काटनी पडी है. इसी तरह दीवार पर टीवी तो टँगा है पर ऑन करने पर चलता नही है. टीवी ठीक करने के लिए पैसे शायद घर में बचे नही है. पत्रकार निकोलस, केस स्टडी के तौर पर अर्कान्सा स्टेट के पाईन ब्लफ के एक ऐसे ही निर्धन परिवार की कहानी बताते हैं. वे अखबार में लिखते हैं कि पाईन ब्लफ के इस निर्धन परिवार में एक 13 साल का लड़का इमैनुएल लास्टर रहता है. लास्टर के घर में तीन टीवी तो है लेकिन पेट भरने के लिए भोजन नही है.
रसोई में झूठे बर्तन तो है पर खाना नदारद है
निकोलस जब लास्टर के घर पहुंचे तो उन्हें मालूम हुआ कि बिल न देने पर घर की बिजली कटी हुई है. घर में हर जगह गन्दे कपड़े बिखरे है. गांजे की महक से निकोलस की नाक गंधाने लगी. वे जब किचन में घुसे तो देखा कि कई दिन के बर्तन बिना धुले सिंक में पड़े है. इन बर्तनों से अजीब सी गन्ध आ रही थी. तब उन्हें लास्टर ने बताया कि माँ साथ रहती हैं लेकिन फिर भी अक्सर बिना खाए परिवार रात में सो जाता है. उसने ये भी बताया कि तीन में से दो टीवी क़िस्त पर लिए गए हैं जिनकी क़िस्त न अदा करने पर कम्पनी इन्हें जल्द जब्त कर सकती है. निकोलस को यकीन नही हुआ कि वो ये कहानी अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति ओबामा के राज में लिख रहे है.
पत्रकार निकोलस ने 13 साल के 'चिल्ड्रन ऑफ़ पावर्टी' लास्टर से पूछा कि वो स्कूल क्यों नही जाता ? तो लास्टर ने कहा कि उसकी तमन्ना अभी भी पुलिस अफसर बनने की है और वो स्कूल जाना चाहता है पर घर में कोई किताब नही है. कुछ समय पहले लास्टर दुकान में चोरी करते पकड़ा गया था. हालाँकि उसने कहा कि वो अब चोरी नही करता पर उसकी माँ क्रिस्टीना बोल पड़ी कि उन्हें फिर भी डर लगता है क्योंकि लास्टर के कुछ दोस्त अपने साथ चाक़ू लेकर चलते हैं. माँ ने बताया कि 14 साल की उम्र से यहां लड़कों को लोकल गैंग भर्ती करने लगते है इसलिए वो लास्टर को बाहर जाने से रोकती हैं.
राष्ट्रपति चुनाव में 'चिल्ड्रन ऑफ़ पावर्टी' मुद्दा क्यों नही बन सका
पत्रकार निकोलस का कहना है कि ये देश का दुर्भाग्य है कि वर्तमान राष्ट्रपति चुनाव में 'चिल्ड्रन ऑफ़ पावर्टी' मुद्दा नही बन सका लेकिन वो दिन दूर नही जब अमेरिका को इस बड़ी समस्या से दो चार होना पड़ेगा. निकोलस आगे लिखतें है कि वो हर साल अमेरिकी यूनिवर्सिटी से एक युवा पत्रकार का चुनाव करके उन्हें एशिया और अफ्रिका की गरीबी की कथा लिखने के लिए विदेश भेजते थे. लेकिन आज खुद अमेरिका के बच्चों की बदहाली देखकर वो खुद कलम चलाने में थर थरा रहे हैं. आखिर में निकोलस ने एक सच और लिखा , " ऐसी गरीबी को दूर करने की कोशिशनही दिखती. कोशिश तो दूर, इस तकलीफ की तरफ कोई देख तक नही रहा ." ज़ाहिर है अगर अमेरिका अपने बच्चों के भविष्य को सहेज नही पा रहा है तो तीसरे विश्व में नरक भोग रहे बच्चों की सुध लेने के लिए किस व्यवस्था को दोषी ठहराया जाए.
सच बस इतना है कि बच्चों की बदहाली का एक बड़ा कारण, समाज और व्यव्यस्था में उनके वोट का ना होना है. वे अपने हाल पर रोते, बिलखते, चीखते तो है पर वोट तन्त्र में उनकी कोई आवाज़ नही है.