नई दिल्ली: भारतीय सैनिको के बहादुरी के किस्से यूँ ही नहीं गाए जाते। देश सेवा करने का जज्बा क्या होता है। ये जानना हो तो देश की सेना के जवान खुर्शीद अहमद से मिलिये। इस फौजी को 8 गोलियां ने उनके शरीर को छ्लनी कर दिया लेकिन इस जवान के इरादों को छ्लनी नहीं कर सके, फौजी खुर्शीद अहमद के शरीर से डॉक्टरों ने आठ में सात गोलियों को निकाल लिया। डॉक्टरो ने एक गोली को नहीं निकाला है क्योंकि उनकी पीठ के ऐसे हिस्से में लगी है, जहां से उसे अभी निकालना खतरनाक हो सकता है।
दो महीनों से हॉस्पिटल में हैं भर्ती
बहादुर जवान दो महीने से हॉस्पिटल में भर्ती है। दो महीने पहले 25 जून को जब CRPF जवानों से भरी एक बस प्रैक्टिस सेशन से पम्पोर में बने अपने बेस वापस जा रही थी, तभी आतंकवादियों ने बस पर ताबड़-तोड़ गोलियां बरसाई। इस हमले में चार सैनिक शहीद हुए तो कई घायल, घायल सैनिको में एक खुर्शीद अहमद भी थे। जिन्हें आठ गोलियां लगी। अभी खुर्शीद हॉस्पिटल में भर्ती हैं और वहां उनकी देश रेख करने के लिए उनके बड़े भाई हैं। उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। उनकी लोअर बॉडी में कोई हरारत महसूस नहीं होती। लेकिन इन सबके बावजूद उनके जोश और हौसले में कोई कमी नहीं आई है।
ठीक होकर फिर करूंगा देश की सेवा
उनसे मिलने पर उन्होंने कहा कि मैं अभी ठीक नहीं हूं लेकिन वापस जा कर अपने देश के लिए लड़ना चाहता हूं। देश के दुश्मन हमें मारना चाहते थे, लेकिन मैं बच गया। मैं किसी मकसद के लिए ही बचा हूं। मैं अपनी आखरी सांस तक इस देश के लिए लड़ूंगा। एक फौजी के लिए हमेशा इज़्ज़त इसलिए रहती है क्योंकि वो देश के लिए अपनी छाती पर गोली खाता है। सुख-चैन तो प्राइवेट नौकरी वाले भी लुटा रहे हैं, लेकिन गोली खाना हर किसी के बस की बात नहीं। खास कर उनकी तो बिलकुल नहीं, जिन्हें बस फौजियों की याद 15 अगस्त और कारगिल दिवस के दिन आती है। मै देश के लिए जिता हूँ। देश के लिए मरता हूँ।