नई दिल्ली: एपीजे अब्दुल कलाम का एक ऐसा अनूठा भक्त जो कि अरबों खरबों का मालिक है लेकिन या तो पैदल चलते हैं या बस से। जब उनसे पूछा गया कि आप कार का इस्तेमाल क्यों नहीं करते तो उन्होनें कहा की जीवन में सादगी बेहद ज़रूरी है और देश की माली हालत के प्रति भी हमें ईमानदार होना चाहिए। असल मिसाइल मैन कलाम के देशभक्ति से ओतप्रोत भाषण सुनने के बाद उनसे आर सुंदरम इतने प्रभावित हुए कि उन्होनें तमिलनाडु में एयर डिफेन्स के साजो समान की फैक्ट्री डाल दी। दोस्तों ने बहुत मना किया और घरवालों ने भी इसे मुश्किल क्षेत्र बताकर उत्पादन के काम से रोका, लेकिन कलाम के देश भक्ति का जुवूव सुंदरम पर इतना छाया था कि वो एयरोनॉटिकल कम्पोनेन्ट बनाने में जुट गए। सुंदरम बताते हैं कि 1991 में एक एविएशन सेमिनार में मैने कलाम साहब को बैगलोर में सुना। कलाम साहब ने तब कहा था कि 80 फ़ीसदी एयरोनॉटिकल कम्पोनेन्ट आयात हो रहा है।कलाम साहब तब डीआरडीओ के प्रमुख थे और देश को एयरोनॉटिकल में आगे ले जाने के लिए स्वदेश में ही उत्पादन पर ज़ोर दे रहे थे।
30 करोड़ की कंपनी का 100 करोड़ हुआ लक्ष्य
मेकेनिकल इंजिनीयर और रबर टेक्नॉलाजी में एक्सपर्ट सुंदरम से रहा नहीं गया और उन्होनें तमिलनाडु के शहर सालेम में एयरोस्पेस इंजीनियर प्राइवेट लिमिटेड की नीव डाल दी। देखते ही देखते सुंदरम की इस फैक्ट्री में फाइटर प्लेन से लेकर सेटेलाइट तक के कम्पोनेन्ट बनने लगे। 30 करोड़ की यह कंपनी अब सालाना 100 करोड़ के टर्नओवर का लक्ष्य साध रही है। देश के लिए सुंदरम के इस प्रयास को लेकर PM मोदी इतना प्रभावित हुए कि उन्होनें सरार की तरफ से इसको क्वॉलिटी प्रोडक्ट के उत्पादन के पुरुस्कार से सम्मानित किया।
इंडिया संवाद का सुंदरम को सलाम
सुंदरम अब एक ब्रिटिश कंपनी के साथ दूसरी फैक्टरी शुरू करने जा रहे हैं। उनका कहना है कि अब उनकी कोशिश अमेरिका के एयरोस्पेस में प्रवेश करना है। जो कि दुनिया के सबसे आधुनिक विमान और स्पेस शटल उपलब्ध कराता है। सुंदरम का सफ़र बहुत आसान तो नहीं था। मेकेनिकल इंजीनियर होने के बावजूद उन्हें चार साल HEL और DRDO में टेक्नॉलाजी और प्रोडक्ट को समझने में लवगे । इसके बाद कहीं जाकर 1996 में जाकर सुंदरम ने किरण फाइटर प्लेन के लिए कॉकपिट का सामानतैयार किया। आज वो Mig21 और Mig 27 के जैसे विमान के कॉकपिट का सामान तायार किर रहे हैं। लेकिन कलाम से प्रभावित सुंदरम की सबसे बड़ी पहचान जिनके लिए उन्हें इंडिया संवाद सलाम करता है वो यह कि आज भी करोड़पति होने के बावजूद वो बस और मेट्रो से सफ़र करते हैं।