नई दिल्ली : यूपी के मिर्जापुर की डीएम कंचन वर्मा ने स्वछता को लेकर जिले की अफसरों और कर्मचारियों को ऐसा पाठ पढ़ाया कि अब वह भूले से भी गंदगी को आस पास नहीं रहने देंगे. दरअसल जिले कि कमान संभालते ही इस महिला डीएम ने अफसरों से जिले को गंदगी से मुक्त करने का फरमान जारी किया था. लेकिन डीठ अफसरों ने जब उनके आदेश को ठेंगा दिखाया तो उन्होंने उनको गंदगी में बैठा कर उनकी क्लास लगा दी.
गंदगी से घृणा का पाठ पढ़ाया
सूत्रों के मुताबिक जिसके चलते अफसर भौचक्के रह गए. बताया जाता है कि डीएम कंचन वर्मा ने स्वछता अभियान को लेकर जिले के अफसरों कि बैठक बुलाई. लेकिन यह बैठक कलेक्ट्रेट कार्यालय की बजाय घाट की सीढ़ियों पर बुलाई. इसके बाद डीएम साहिबा खुद तो घाट पर बैठ ही गयीं और अफसरों और कर्मचारियों को भी उन्हीं गंदी सीढ़ियों पर बैठा दिया. इस दौरान कई बड़े अफसरों के सर शर्म से उनके सामने झुक गए. हालाँकि कई अफसरों ने उनसे कुर्सी पर बैठने का आग्रह किया. लेकिन वह गन्दगी में ही बैठी रही.
स्कूल के बच्चों की शिक्षिका बन कर सुर्ख़ियों में रहीं
डीएम कंचन वर्मा इससे पहले भी अपनी कार्यशैली को लेकर चर्चा में रही हैं. गौरतलब है कि जिले की कमान संभालते ही उन्होंने एक सरकारी स्कूल का निरीक्षण किया था. इस दौरान वह क्लास में मौजूद बच्चों की अध्यापिका बन कर उन्हें पढ़ाने लगीं थीं. यही नहीं बच्चों को उन्होंने ऐसा समझाया था जैसे वह उनकी नई शिक्षिका हों. यही नहीं उन्हें होमवर्क भी दिया था.
कंचन वर्मा ने किया था नदी को पुनर्जीवित
साल 2012 में आइएएस अफसर कंचन वर्मा को फतेहपुर का डीएम बना कर भेजा गया था. 2005 बैच की इस अफसर के मन में काम करने का जूनून था. कंचन ने फतेहपुर में सूख चुकी ठीठौरा झील और ससुर खदेरी नदी को पुनर्जीवित करने का काम किया. इससे जहां मनरेगा योजना में काम करने वाले मजदूरों को काम मिला. सात हेक्टेयर में फैली ठीठौरा झील से ही ससुर खदेरी प्रथम और द्तीय नदी निकलती है, जिसको भी कंचन वर्मा ने डीएम रहते हुए पुनर्जीवित किया था. हालत यह थी कि लोग नदी में खेती तक करने लगे थे. यह नदी 46 किमी लंबी थी. कंचन वर्मा ने डीएम रहते हुए 38 किमी तक की खुदाई करवाई थी. नतीजतन झील भी अपने पुराने स्वरुप में आ गई और नदी 12 से लेकर 45 मीटर की चौड़ाई में बहनी शुरू हो गई.