नई दिल्ली : बॉम्बे हाउस में आज हुई 'टाटा संस' ग्रुप की एक अहम बैठक में ऐतिहासिक फैसला हुआ जब टाटा कमेटी ने महज चार साल पहले चेयरमैन बने सायरस मिस्त्री को पद हटा दिया। इसे महज एक इत्तेफाक कहिये या कुछ और कि इस फैसले के 48 घंटे पहले तक 'इंडिया संवाद' टाटा संस से जुड़े एक अहम मामले की पड़ताल करते हुए चेयरमैन सायरस मिस्त्री से कुछ सवालों के जवाब मांग रहा था। बॉम्बे हाउस में जब आज कमेटी के सदस्य रतन टाटा, वेणु श्रीनिवासन, अमित चंद्र, रोनेन सेन और लार्ड कुमार भट्टाचार्य बैठे तो फैसला सुनकर हर कोई हैरान था।
इंडिया संवाद को कुछ दिन पहले एक ऐसे मामले का पता चला था जिसमे टाटा ग्रुप की एक हाउसिंग कंपनी पर दिल्ली एनसीआर के बहादुरगढ़ में चल रहे उसके प्रोजेक्ट में नियमों के भारी उल्लंघन का आरोप था जिसका सम्बन्ध सीधे उसके ग्राहकों से जुड़ा हुआ है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने इस मामले का खुलासा 'इंडिया संवाद' के संवादाता अश्वनी श्रीवास्तव से किया।
अधिकारी ने यह भी बताया कि पिछले 50 सालों में टाटा ने जिस तरह अपने सिद्धान्तों पर चलकर लोगों का भरोसा जीता अब वह टूट रहा है। पूर्व अधिकारी ने कहा कि टाटा के कामकाज के इस तरीके से वह हैरान हैं और इसकी शिकायत भी की गई है। इंडिया संवाद के एग्जीक्यूटिव एडिटर दीपक शर्मा ने इस मामले में टाटा पर लग रहे तमाम आरोपों का चेयरमैन सायरस मिस्ट्री से 20 अक्टूबर को एक ई-मेल के जरिये जवाब मांगना चाहा था। इस मेल के जवाब से मिलने से पहले 'इंडिया संवाद' को सोमवार को खबर मिली कि चेयरमैन पद से मिस्त्री को हटा दिया गया है।
इंडिया संवाद इस बात का खुलासा बिल्कुल नही करता कि मिस्त्री को किस कारण टाटा ने हटाया लेकिन पिछले कुछ समय से कई मामलों में टाटा पर लग रहे आरोप बताते हैं कि टाटा ग्रुप के अंदर कुछ भी सही नही चल रहा है। वहीँ एक अन्य मामले में टाटा के साथ संयुक्त रूप से कामकर रही जापान की टेलीकॉम कंपनी एनटीटी डोकोमो ने टाटा पर संधि उल्लंघन का भी आरोप लगाया था जिसमे टाटा को लन्दन की एक अंतराष्ट्रीय अदालत ने 1.17 अरब का मुवावजा चुकाने को कहा था।
सायरस मिस्त्री को जब टाटा का चेयरमैन बनाया गया था तब वह रतन टाटा की ही पहली पसंद थे। हिंदुस्तान के सबसे बड़े कॉरपोरेट समूह टाटा के कई प्रोजेक्ट पिछले कई समय से मुश्किलों का सामना कर रहे थे। ग्राहकों की शिकायतों का निदान नही हो रहा था और विदेशों में भी टाटा को लगातार झटके लग रहे थे। सूत्रों की माने तो पिछले कुछ समय से रतन टाटा और मिस्त्री के बीच रिश्ते भी सामान्य नही थे। मुम्बई में हुई ग्रुप की बैठक में फैसला हुआ कि टाटा को इस वक़्त मुश्किलों से बाहर निकालने के लिए रतन टाटा की जरूरत है।
चार साल पहले 29 दिसंबर 2012 को शापूरजी पालोनजी ग्रुप के एमडी रहे सायरस मिस्त्री को रतन टाटा की जगह चेयरमैन बनाया गया था। मिस्त्री टाटा के 6वें चेयरमैन थे और वह टाटा के दूसरे ऐसे चेयरमैन थे जिन्होंने अपने नाम के बाद टाटा नही जोड़ा।