नई दिल्ली : कालेधन के खिलाफ मोदी सरकार के फैसले से देशभर में अफरा तफरी का माहौल है। लोग भारी संख्या में पैसे की कमी से जूझ रहे हैं। दिल्ली पुलिस के जारी आंकड़ों के अनुसार शनिवार तक हिंसा की 45000 शिकायतें आ चुकी हैं। दिल्ली पुलिस ने इस स्थिति पर नियंत्रण के लिए 12000 पुलिस कर्मियों को तैनात किया है। कई लोग सरकार के इस फैसले को तानाशाही भरा फैसला बता रहे हैं।
लोगों की शिकायत है कि सरकार ने कालेधन के खिलाफ जो ये कदम उठाया है वह बिना तैयारी के उठाया है। भारत जैसे भिन्न आर्थिक और सामाजिक स्थित वाले देश में इस तरह का फैसला बिना तैयारी के साथ घातक हो सकता है। 500 और 1000 के नोट वापसी के इस कदम के बाद संभवतः इसका आंकलन किया जाएगा कि इस योजना से सरकार को मिली सफलता और लोगों की परेशानी का प्रतिशत कितना रहा।
सरकार का कहना है कि आगामी 50 दिनों तक परेशानी झेलनी पड़ेगी लेकिन इतने दिनों में देश की उस अर्थव्यवस्था का क्या होगा जो रोज काम के पेट भरते है। जिसके पास डेबिट कार्ड जैसे आधुनिक सुविधाएं नही हैं। अभी नोट वापसी के फैसले को एक हफ्ता भी नही हुआ है लेकिन देशभर से दर्द नाक कहानियां सामने आ रही है। हम आपको अखबारों के जरिये मिली ऐसी कुछ कहानियां बता रहे हैं जिन पर 500 और 1000 के नोट की भारी मार पड़ी है।
एटीएम से पैसे नही मिले की आत्महत्या
हावड़ा के बेलूर की पॉश कॉलोनी के अपार्टमेंट में रहने वाली 27 साल की मधू तिवारी ने शुक्रवार सुबह अपने घर की बालकनी से कूदकर जान दे दी। मधु ने यह फैसला एटीएम से लौटकर लिया क्योंकि उसे एटीएम से पैसे नही मिले। घर अपार्टमेंट की 10वीं मंजिल पर था। पुलिस के मुताबिक मधु के पति ने बताया कि उसकी पत्नी ने बालकनी से कूदकर जान दे दी।
पैसे नही हुए जमा पड़ा दिल का दौरा
गुवाहाटी के कुमार पारा इलाके के एक निवासी दीनबंधु ने अपनी बेटी की शादी के लिए जमीन बेचकर यह धनराशि घर में रख ली थी लेकिन रात को 500 और 1000 के नोटों के चलन पर रोक की खबर सुनकर बेहोश हो गया। उसने उसी रात कई एटीएम में पैसे जमा कराने की कोशिश की लेकिन विफल रहा। दीनबंधु के परिवार के सदस्यों के अनुसार, वह बहुत परेशान था तथा रात को बिना कुछ खाए सो गया. जब सुबह वह शौचालय के लिए जाने लगा तभी दिल का दौरा पड़ गया तथा मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
कुशीनगर की को नही आ रही नींद
कुशीनगर की रहने वाली तीर्थराजी देवी इलाके में ही मजदूरी का काम करतीं थीं जबकि उनका पति रामप्रसाद लोगों के कपड़े धोने का काम करता है। रामप्रसाद ने बताया कि इसी कमाई से किसी तरह पूरे परिवार का खर्चा चल रहा है। पत्नी तीर्थराजी देवी ने इसी गाढ़ी कमाई से बचत-बचत कर-कर के चार हजार रुपए जमा किए थे। गुरुवार को अपनी बचत के एक-एक हजार के चार नोट लेकर सेंट्रल बैंक में जमा करने आयी थीं। उसे नहीं मालूम था कि आधी रात के बाद से ही 500 और 1000 के नोट पर सरकार ने बैन लगा दिया है।
डिलीवरी में देरी की वजह से उसकी बच्ची की मौत हो गई
खुर्जा के रहने वाले अभिषेक का कहना है कि वो अपनी पत्नी एकता की डिलीवरी के लिए निजी अस्पताल कैलाश गया था। अस्पताल वालों ने उससे 10,000 रुपए जमा कराने के लिए कहा था. जब वो पैसे लेकर काउंटर पर पहुंचा तो अस्पताल वालों ने 1000 के नोट देखकर पैसे लेने से मना कर दिया। इस पर अभिषेक अस्पताल वालों से मिन्नतें करने लगा कि वो बाद में बदल कर ला देगा फिलहाल इसे जमा कर लिया जाए। अभिषेक के मुताबिक अस्पताल ने एक नहीं सुनी और पत्नी की डिलीवरी में देरी की वजह से उसकी बच्ची की मौत हो गई।
पैसा जमा करने आई 60 वर्षीय एक वृद्धा की हृदय गति रुकने से मौत
कुशीनगर में एक बैंक में बुधवार को पैसा जमा करने आई 60 वर्षीय एक वृद्धा की हृदय गति रुकने से मौत हो गई। स्थानीय निवासी वृद्धा तीर्थराजी देवी बुधवार को सुबह सेंट्रल बैंक पहुंची। उसके पास एक हजार के दो नोट थे। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि बैंक बंद है और पैसा नहीं जमा हो रहा है, इस पर महिला वहीं गिर पड़ी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
माँ के लिए नही मिला कफ़न
अपनी मां के कफन के लिए 500 रुपये का नोट लेकर मधेपुरा निवासी इनामुल हक भटकता रहा। बुधवार सुबह को इनामुल की मां हंसमून निशा (60) की मौत हो गई। इनामुल कफन खरीदने बाजार गया। कोई भी दुकानदार उसे कफन देने को तैयार नहीं हुआ। उसके पास सिर्फ 500 और 1000 रुपये के ही नोट थे।
श्मशान के बाहर से चिता के लिए लकड़ी खरीदने के लिए रहा परेशान
गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में डेबिट कार्ड से भुगतान करने के बाद परिजन सीआरपीएफ एएसआई अखिलेश सिंह भदौरिया का शव भिंड लाया गया। शहर में स्थानीय मुक्तिधाम में शव को अंतिम संस्कार के लिए लाया गया। श्मशान के बाहर से चिता के लिए लकड़ी खरीदने भी परिजन को 100 के नोटों का इंतजाम करना पड़ा। लकड़ी विक्रेता ने भी 500 और 1000 रुपए का नोट नहीं लिया।