नई दिल्ली : मोदी सरकार कृषि की दशा सुधारने के लिए जहाँ टीवी चैनल से लेकर इसके वै ज्ञान िकीकरण की दिशा काम कर रही है वहीँ वैज्ञानिकों की नियुक्ति को लेकर अब एक विवाद खड़ा हो गया है। जिससे सरकार की नियुक्तियों को लेकर पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसी साल फ़रवरी में त्रिलोचन महापात्र को भारतीय कृषि अनुसन्धान (ICAR) का महानिदेशक नियुक्त किया गया था। आईसीएआर ने चयन प्रक्रिया के तहत 36 आवेदन वैज्ञानिकों से इस पद के लिए मंगाए थे। जिनमे से चयन पैनल ने 8 वरिष्ठ वैज्ञानिकों का चयन किया था लेकिन आखिरी वक़्त में त्रिलोचन महापात्र को इस पद पर बैठा दिया गया।
36 वैज्ञानिकों ने किया था आवेदन
अब एक आरटीआई पता चला है कि दरअसल त्रिलोचन महापात्र का नाम न उन 36 आवेदनकर्ताओं में था और न ही उनके पास इस पद के लिए पर्याप्त योग्यता थी। तो त्रिलोचन महापात्र को इस पद पर बैठाया किसने ? इसका जवाब अब दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है और इस पर जल्द हलफनामा देने को कहा है।
महापात्र के पास इस पद के लिए योग्यता भी नहीं
जय सिंह चौहान नामक व्यक्ति ने इस मामले में एक दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि सरकार के नियमों के अनुसार भारतीय कृषि अनुसन्धान महानिदेशक के पद के लिए कृषि अनुसन्धान और वैज्ञानिक के तौर पर 25 साल का अनुभव होना जरूरी है और रेसर्च मैनेजमेंट पोजीशन के रूप में 5 साल का अनुभव होना चाहिए।
लेकिन त्रिलोचन महापात्र का कृषि वैज्ञानिक के तौर पर 23 साल का अनुभव है और आरएमपी के रूप में 3.5 साल का ही अनुभव है। सच यह भी है कि जिन वैज्ञानिकों को चुना भी गया था उनमे कइयों के पास यह अनुभव था लेकिन उन्हें बाहर कर दिया गया। क्या पीएम के कार्यालय ने इस पद पर अपने चहेते व्यक्ति को बैठा दिया या सवाल कई लोगों के जहन में है।