नई दिल्लीः पीओके में घुसकर 50 पाकिस्तानी आतंकियों के सफाए में बिहार रेजीमेंट और डोगरा रेजीमेंट के ही कमांडों क्यों चुने गए, इसका जवाब अब सामने आया है। सेना सूत्रों का कहना है कि उड़ी हमले में इन्हीं दो रेजीमेंट के ही सबसे ज्यादा जवान शहीद हुए थे, इस नाते उन्हें अपने साथियों की शहादत का बदला लेने का मौका दिया गया। इसके पीछे पीएम मोदी की सोच रही।
मोदी ने कहा-साथियों का बदला लेंगे तो बढ़ेगा मनोबल
सूत्र बता रहे हैं कि मीटिंग में पीएम मोदी ने कहा था कि उड़ी हमले में सबसे ज्यादा शहादत बिहार और डोगरा रेजीमेंट ने दी है। जवानों का मनोबल तभी बढ़ेगा जब वे पाकिस्तानी आतंकियों का सफाया अपने हाथों से करेंगे। यही वजह रही कि हेलीकॉप्टर से इन्हीं दो रेजीमेंट के कुल 16 कमांडोज को आतंकी शिविरों को नष्ट करने के लिए
पीओके में उतारा गया।
सुबूत मिटाकर पाकिस्तान ने की इज्जत बचाने की कोशिश
सेटेलाइट से भारतीय सेना को मिली तस्वीरों में देखने पर पता चलता है कि मारे गए 50 आतंकियों के शव को आसपास ही पाकिस्तानी सेना दफनाने में जुटी है। इस काम में काफी तेजी दिखाई जा रही है। जिसका मतलब यही है कि पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक के सुबूत मिटाकर अपनी इज्जत बचाने की कोशिश में रहा। ताकि पाकिस्तान की जनता के सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ आक्रोश को पनपने से रोका जा सके।