नई दिल्ली : रोजगार की दिशा में बनाई गई मोदी सरकार की तमाम योजनाए क्या सफल नही हो पा रही है ? यह सवाल श्रम ब्यूरो के आंकड़ों के बाद और भी बड़ा हो गया है। अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट में श्रम ब्यूरो के आंकड़ों को प्रदर्शित किया गया है। आंकड़ों की माने तो देश में साल 2015-16 के दौरान बेरोजगारी की दर सबसे उच्चतम स्तर 5 % पर पहुँच गई है, जो पांच साल के सबसे उच्च स्तर पर है।
रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के मामले में बेरोजगारी की दर उल् लेख नीय रूप से 8.7 फीसदी के उच्चतम स्तर और और पुरुषों की बेरोजगारी का स्तर 4.3 प्रतिशत रही। सर्वे के अनुसार 77 फीसदी परिवारों के पास कोई नियनित आय या वेतन भोगी व्यक्ति नही है। आंकड़ों की माने तो साल 2013-14 में बेरोजगारी की दर 4.9 प्रतिशत थी वहीँ साल 2012-13 में यह 4.7 प्रतिशत और साल 2011-12 में यह 3.8 प्रतिशत थी।
श्रम ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार 42 फीसदी गांवों में न के बराबर काम मिला। 77 फीसदी ग्रामीण हाउसहोल्ड की मंथली इनकम 10 हज़ार रुपए से भी कम रही। वहीं आधे हाउसहोल्ड की इनकम 50 हज़ार मंथली तक रही। आंकड़ों के अनुसार 68 फीसदी लोग महीने में केवल 10,000 रुपए कमा पाते हैं। एक-तिहाई लोगों के पास पूरे साल के लिए काम नहीं होता है। शहरों में रोजगार खोजने वाले 82 फीसदी लोगों को कामयाबी मिली, जबकि गांवों में यह आंकड़ा केवल 53 फीसदी रहा है।