नई दिल्ली : मुकेश अम्बानी ने जब रिलायंस 'जियो' सेवा शुरू की तब इसके विज्ञापन में खुद पीएम मोदी की फोटो लगाकर इसे उनका सपना पूरा करने जैसा बताया गया लेकिन जियो के असर ने प्रधानमंत्री मोदी के 2 करोड़ रोजगार देने सपने को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है। रिलायंस जियो के आने बाद भारतीय टेलीकॉम सेक्टर सबसे बड़े उठापटक के दौर से गुजर रहा है।
एक तरफ जहां टेलीकॉम कमीशन ने TRAI को नोटिस जारी कर कहा है कि जियो के कारण केंद्र सरकार को ही 658 करोड़ का चूना लग गया वहीँ रिलायंस जियो ने बाकी तमाम टेलीकॉम कंपनियों को एक दूसरे में विलय करने को मजबूर कर दिया है। बिज़नस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट की माने तो जिस तरह तमाम टेलीकॉम कंपनियों का आपसी विलय हो रहा है उससे टेलीकॉम सेक्टर की 20 से 40 फीसदी नौकरियां के ख़त्म होने का संकट आ खड़ा हुआ है।
एयरटेल और टेलीनॉर के मिलने से होंगी 15 से 20 प्रतिशत नौकरियां ख़त्म !
अब देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी एयरटेल ने टेलीनॉर को खरीदने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि इस मर्जर से ही इन कंपनियों में काम कर रहे 15 से 20 प्रतिशत लोगों का रोजगार संकट में पड़ने की संभावना है। इसके अतिरिक्त कुमार मंगलम बिड़ला की आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन पीएलसी के बीच मर्जर की बात चल रही है।
इस सेक्टर के जानकारों की माने तो आने वाले समय में इस सेक्टर में काम कर रहे 10,000-25,000 लोगों की नौकरियों पर तलवार लटक रही है। भारतीय टेलिकॉम इंडस्ट्री से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से 3 लाख लोगों का रोजगार टिक हुआ है। टेलीकॉम सेक्टर के जानकारों का कहना है कि कंसॉलिडेशन के बाद अगले डेढ़ साल में एक-तिहाई लोगों की जरूरत नहीं रह जाएगी।
कंपनियों के डेटा के मुताबिक आइडिया, वोडाफोन, आरकॉम और एयरसेल में 48,000 लोग काम करते हैं। बिजनस में कमी के बावजूद टाटा टेलिकॉम में 7,000 लोग काम कर रहे हैं। वहीँ जियो के आने के बाद टेलीकॉम कंपनियों के घाटे का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि रिलायंस जियो के आने के बाद देश की टेलीकॉम कंपनी आईडिया सेलुलर को वित्त वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही में 385.5 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
जियो से सरकार को ऐसे लगा 685 करोड़ का चूना
सरकार मोबाइल ऑपरेटरों से लाइसेंस फीस और स्पैक्ट्रम यूसेज चार्ज लेती है जो रेवन्यू के आधार पर तय होती है। टेलिकॉम कमीशन ने जो नोट तैयार किया है, उसमें जियो की 90 दिनों से अधिक समय तक की फ्री सर्विस का जिक्र है। इसमें लिखा है, 'रिलायंस जियो इन्फोकॉम ने 5 सितंबर 2016 को सर्विस शुरू की थी और उसने पहला प्रमोशनल ऑफर 31 दिसंबर 2016 तक के लिए दिया था। यह ऑफर 90 दिनों से अधिक समय का था।'
सरकार को इतना बड़ा नुकसान इसलिए हुआ है क्योंकि सरकार टेलीकॉम ऑपरेटर से जो स्पैक्ट्रम यूसेज चार्ज लेती वह उसके रेवेन्यू के आधार पर होता है और जब जियो ने इतने दिनों में कमाई की ही नही तो वह सरकार को रेवेन्यू कहाँ से देगा।
टेलीकॉम कमीशन ने ट्राई को लिखे नोट में यहाँ भी कहा है कि टेलिकॉम कंपनियों से सरकार को स्पैक्ट्रम का 1 लाख करोड़ रुपया वसूलना है। वहीं, बैंकों ने उन्हें 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ है। नोट में लिखा है, 'अगर यही ट्रेंड बना रहा तो इससे इंडस्ट्री की इस पैसे को चुकाने की क्षमता पर असर पड़ेगा। ऐसे में कंपनियों के स्पैक्ट्रम पर पेमेंट के मामले में डिफॉल्ट से इनकार नहीं किया जा सकता।'