मर्दानगी का सबूत
अजीत शाह आगरा की मशहूर 'शाह शूज़ फैक्टरी' के मालिक अपने आफिस में बैठे हैं और उनके पास शहर की दूसरी नामी फैक्ट्री मेहरोत्रा शूज़ फैक्टरी' के मालिक अशोक मेहरोत्रा मिलने आते हैं, दोनों का एक ही बिजनेस है, लेकिन उनमें प्रतिस्पर्धा नहीं, दोस्ती है।
"अरे अशोक, आओ दोस्त आज बहुत दिनों बाद आए, कहो कैसे हो, और जतिन कैसा है, अब तो जतिन भी अच्छे से बिजनेस संभाल लेता है"!
"हम्ममम, जतिन के बिजनेस ज्वाइन करने से मेरे कंधों का बोझ हल्का हो गया, अब तो मैं तेरी भाभी को भी समय दे सकता हूं, वरना उसकी हर समय यही शिकायत होती थी कि मैं उसे समय नहीं देता।
हंसते हुए, तु बता तु कितना समय देता है भाभी को, लगता है तेरी और भाभी की तो रोज़ जंग छिड़ती होगी😂😂"
" नहीं यार अब नहीं, अब तेरी भाभी जिया के साथ अपना समय बिताती है, जब तक जिया कालिज थी तब तक थोड़ा बोरियत होती थी, अब जब से जिया का कालिज खत्म हुआ, दोनों कभी कहीं घूमने निकल जाती है तो कभी शापिंग वगैरा"
इस तरह दोनों इधर-उधर की बातें करते हैं।
अशोक, "यार अजीत देख तुझे तो पता है मेरी बिल्कुल सीधी बात करने की आदत है और आज मैं तुझ से सीधी साफ बात करने आया हूं"
" हां तो बोल यार, जो कहना है साफ-साफ कह दे, यारों है कैसा पर्दा"
अजीत," अशोक तुझे पता है जतिन का बचपन में बहुत बुरी तरह से एक्सीडेंट हुआ था, और डाक्टर ने तब कहा था कि शायद जतिन कभी बाप ना बन पाए, उस समय मैं बहुत रोया था कि आगे क्या होगा, कौन करेगा मेरे बेटे से शादी, लेकिन तब डाक्टर ने कहा था कि मैं यह विश्वास के साथ नहीं कह रहा, मैंने ये कहा शायद, ऐसा कोई ज़रूरी नहीं कि ऐसा ही हो, कभी -कभी बड़े होने पर कोई दवाई इत्यादि की वजह से या शारीरिक क्षमता से अंगों में बदलाव आता है, हो सकता है ऐसी स्थिति आए ही ना, और तुने कहा था मैं हूं ना तु चिंता क्यों करता है, हम सब ठीक कर देंगे"
अजीत, " हां, तो अब क्या हुआ, इतने साल पुरानी बात कैसे याद आ गई तुझे?
कुछ हुआ है क्या?"
अशोक," अब मेरा बेटा शादी लायक हो गया है, इसलिए अपने बेटे जतिन मेहरोत्रा के लिए जिया का हाथ मांगने आया हूं,", और अजीत शाह ये सुनकर आग बबूला हो जाते हैं।
अजीत शाह, " अशोक, हम दोस्त हैं, इसका मतलब ये नहीं कि मैं अपनी बेटी को खाई में धकेल दूं,, तुम्हारे बेटे से मेरी बेटी का रिश्ता हरगिज़ नहीं हो सकता, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी का रिश्ता मांगने की, जबकि तुम्हें पता है कि जतिन बाप नहीं बन सकता, उस नामर्द के लिए तुझे मेरी ही बेटी मिली है, दुनिया में हज़ारों लड़कियां हैं, किसी से भी करा दो शादी, मेरी ही बेटी क्यूं"?
इतना सुनते ही अशोक मेहरोत्रा भी भड़क जाते हैं कि," अजीत तुने मेरे ज़ख़्म छेड़े हैं, इन पर मरहम तभी लगेगा जिस दिन मेरे बेटे की शादी होगी, लेकिन अजीत तुने मुझे चुनौती दी है आज, तो सुन 30 दिन के अन्दर अपने बेटे की शादी करके दिखाउंगा तुझे"!
अजीत," अशोक मेहरोत्रा तेरे बेटे की शादी का तो पता नहीं 😀 लेकिन मैं तुझे अपनी बेटी की शादी ज़रूर 30 दिन में कर दिखाऊंगा"
गुस्से में अजीत के आफिस से बाहर निकल जाते हैं। जब बेटे ने पूछा तो उसे सब सच बता दिया और कहा," कि मैं चेलेंज तो दे आया हूं कि 30 दिन में तेरी शादी करके दिखाउंगा, लेकिन इतनी जल्दी कैसे होगा"!
जतिन," पापा उसकी फिक्र मत किजिए अब ये आपका नहीं मेरा चेलेंज है, आप की बात झूठी नहीं होने दूंगा"
इधर अजीत शाह को भी एहसास होता है कि बेटी की शादी कर देनी चाहिए, अब जिया बड़ी हो चुकी है और वो जिया के लिए लड़का ढुंढना शुरू करते हैं, और एक अच्छा घर-बार देखकर जिया से पूछे बिना उसकी शादी तय कर देते हैं, लेकिन जिया राहुल से प्यार करती है, लेकिन पापा को कहने से डरती है, क्योंकि राहुल कोई बड़े खानदान से नहीं एक चपरासी का बेटा है, जो कालिज में उसके साथ पढ़ता था, जिया और राहुल दोनों एक -दूसरे से बहुत प्यार करते हैं, राहुल हमेशा बड़े-बड़े सपने देखता रहता है।
जिया राहुल को बताती है कि उसके पापा ने उसकी सगाई कर दी, इस पर राहुल उदास हो जाता है, लेकिन जिया कहती हैं कि उन्हें कुछ सोचना होगा, वो राहुल के बिना नहीं जी सकती।
इधर जतिन परेशान हैं कि तीस दिन के अन्दर ही शादी करनी है चाहे कैसे भी हो।
अजीत जब शादी की तारीख पंडित से निकलवाते है तो पंडित जी कहते हैं कि या तो 20 दिन के अन्दर ही शादी का मुहूर्त है, जिया के पापा अजीत शाह शादी की तैयारियां शुरू कर देते हैं।
शादी का दिन नज़दीक आ रहा है और जिया परेशान हैं। शादी को केवल दो दिन शेष रह गए, लेकिन जिया की हिम्मत नहीं हो रही कि पापा को राहुल के बारे में बताएं, क्योंकि पापा बहुत गुस्से वाले हैं, पता नहीं कैसे रिएक्ट करें।
इधर आज 28 दिन बीत गए लेकिन अशोक के बेटे जतिन की कहीं कोई बात नहीं बन रही। जतिन परेशान हो गया, "अब तो एक ही रास्ता है कोई भी लड़की हो उसी से ही शादी करनी होगी, पापा और मेरी इज्ज़त का सवाल है"।
जतिन अपनी पी. ए. राशि से शादी के लिए कहता है, और साथ में धमकी देता है कि अगर शादी से मना किया तो उसे नौकरी से निकाल देगा, और कहीं और भी नौकरी नहीं लगने देगा।
लेकिन राशि किसी और से प्यार करती है और उसे सारी बात बताती है।
आज 29सवां दिन है जतिन की शादी कोर्ट में राशि से होनी है, 4 बजे का समय तय हुआ, लेकिन राशि चुपके से सुबह 12 बजे कोर्ट में जाकर अपने प्रेमी से शादी कर लेती है। 3:35 पर जतिन कोर्ट के बाहर पहुंच जाता है, और जब जतिन उसे कोर्ट आने को कहता है तो राशि बताती है कि उसने शादी कर ली और कल उसका रेजिग्नेशन पहुंच जाएगा।
इधर जिया की बारात आने वाली है, और जिया घर से भाग जाती है और कोर्ट पहुंच कर अपने प्रेमी राहुल को फोन करके कहती हैं कि मैं कोर्ट में हूं तुम जल्दी से पहुंचो, राहुल कोर्ट पहुंचता है और जिया उसे बताती है," मैं सब-कुछ छोड़ आई हूं, चलो हम दोनों कोर्ट में शादी कर लेते हैं, अगर शादी के बाद भी पापा हमें नहीं अपनाएंगे तो मैं उस घर से हमेशा-हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ दूंगी, बस मुझे केवल तुम्हारा साथ चाहिए"
जिया का प्रेमी राहुल," जिया अगर तुम्हारे पापा नहीं अपनाएंगे तो मेरे लिए ये शादी मायने नहीं रखती, मैंने तुम्हारे पापा की दौलत के लिए तुमसे प्यार किया था, अब जब तुम्हारे पास कुछ नहीं तो तुमसे शादी नहीं कर सकता, मुझे क्या मिलेगा, उल्टा तुम्हें खिलाना पड़ेगा"
इतना कहकर वो चला जाता है। ये सब सुनकर जिया पर मानों घड़ों पानी पड़ गया हो, उसकी ऑंखों से अश्रु बहने लगते हैं, इस समय जिया का हौंसला, घमंड सब पस्त हो चुका है, वो खुद को हारा हुआ महसूस कर रही है।
इधर राशि के शादी करने से जतिन परेशान हैं कि इस समय लड़की कहां से लाएं और वो अपने किसी दोस्त को फोन कर रहा होता है कि कहीं से भी कोई भी लड़की लाओ, मुझे आज के आज शादी करनी है, चाहे कुछ भी हो जाए, ये मेरे लिए जिंदगी और मौत का सवाल है"
जिया ये सुन लेती है, अब उसके पास भी कोई रास्ता नहीं वो घर वापिस भी नहीं जा सकती।
उसे रास्ता सुझा, वो जतिन के पास जाती है और कहती हैं," क्या आप मुझसे शादी करोगे"
क्योंकि बचपन से ही दोनों हाॅस्टल में पढ़ें इसलिए अब तक एक-दूसरे से कभी नहीं मिले थे तो एक-दूसरे को नहीं पहचानते थे।
जतिन ने आव देखा ना ताव जिया का हाथ पकड़ा और कोर्ट के अन्दर ले गया, क्योंकि थोड़ी ही देर में कोर्ट बंद होने वाला था।
जब वहां पर शादी के लिए साइन करने होते हैं तो जतिन," तुम्हारा नाम क्या है"
" जिया, जिया शाह"
ये नाम सुनते ही जतिन की ऑंखों में एक अजीब सी चमक आ जाती है। दोनों की शादी हो जाती है। जिया तो मजबूर थी इस शादी के लिए इसलिए उसे कोई खास खुशी नहीं लेकिन जतिन खुशी से फूला नहीं समा रहा, आज तो किस्मत ने अजीब खेल खेला था।
जतिन शादी करके जिया को घर लाता है, लेकिन रास्ते में ही पापा को फोन करता है, " पापा मेरी शादी हो चुकी है, मैं आपकी बहू जिया शाह को घर लेकर आ रहा हूं"
जिया शाह का नाम सुनते ही अशोक मेहरोत्रा चकरा जाते हैं कि ये कैसे हुआ, " जतिन क्या कहा तुमने, फिर से तो बोलो"
"यस पापा मैं आपकी बहू जिया शाह को लेकर आ रहा हूं"
अशोक मेहरोत्रा फूले नहीं समा रहे, घर में स्वागत की तैयारियां चल रही हैं।
इधर अजीत शाह परेशान हैं कि जिया शादी के वक्त कहां चली गई।
इतने में अशोक मेहरोत्रा का फोन आता है," अजीत बधाई हो मेरे बेटे की शादी हो गई"
लेकिन अजीत शाह कुछ नहीं बोल पा रहे हैं, किस मुंह से कहें कि मेरी बेटी शादी के वक्त घर छोड़कर कहीं चली गई।
अशोक मेहरोत्रा," जानना नहीं चाहोगे कौन है मेरी बहू, चलो मैं खुद ही तुम्हें बता दूं, सुनो मेरी बहु का नाम है जिया शाह"
इतना कह कर अशोक मेहरोत्रा फोन कट कर देते हैं, लेकिन अजीत शाह की भवें तन जाती है, गुस्से से बेकाबू जा पहुंचे अशोक के बंगले पर। क्या देखते हैं वहां शादी का सा ही माहौल है, घर में शहनाईयां बज रही हैं, कहीं तोरण सज रहे हैं, कहीं ढोल पर गीत गाए जा रहे हैं, हर तरफ खुशियां ही खुशियां झलक रही हैं, बधाई देने वालों का तांता लगा है, अजीत जी को देखकर सब उन्हें भी बधाई देने लगे।
अजीत शाह अशोक को एक तरफ ले जाकर," अशोक ये तुने अच्छा नहीं किया, मेरी बेटी को बर्गलाकर उसकी शादी अपने बेटे से कर के, आज मेरी बेटी की शादी थी, तुने अपने बेटे की धोखे से शादी की"
अशोक, "अजीत ना ही मैंने या मेरे बेटे ने किसी को बर्गलाया है , तेरी बेटी खुद आई थी मेरे बेटे के पास शादी का प्रस्ताव लेकर"!
अजीत जब बेटी से पूछता है और बेटी भी यही कहती हैं कि किसी ने जबरदस्ती नहीं की उसके साथ उसने अपनी मर्ज़ी से शादी की है, तो अजीत गुस्से में आकर बेटी से रिश्ता तोडकर अपने बंगले की तरफ चला जाता है।
शादी को तीन महीने हो गए जिया के घर से कोई संदेश नहीं आया, ना ही कोई मिलने,लेकिन जिया और जतिन को एक -दूसरे से प्यार हो जाता है।
जिया अब दो महीने के गर्भ से है, गर्भ की बात जानकर मेहरोत्रा परिवार फूला नहीं समा रहा और एक दिन अशोक मेहरोत्रा अजीत को फोन करते हैं," अजीत यार गुस्सा थूक दे अब, तु नाना और मैं दादा बनने वाले हैं, ईश्वर ने हमारी सुन ली चल आज अपनी बेटी को मिलने आजा यार"
लेकिन अजीत का गुस्सा उसके घमंड के साथ मिलकर बैठा है। कोई जवाब दिए बिना ही फोन काट देता है।
इधर जतिन जिया को पैकिंग करने को कहता है, जतिन कहता है कि चलो हम दोनो ही चलते हैं कुछ दिन पापा के पास चलकर रहेंगे शायद मान जाएं।
जिया ने पेकिंग की तो जतिन और जिया दोनों जिया के पापा के घर जाते हैं, और अन्दर आते ही जतिन," शाह साहब आपने मुझे नामर्द कहा था ना, अब आप की बेटी को तो मैंने प्रेगनेंट कर दिया। लिजिए रखिए अब अपनी बेटी को अपने पास। आपने मुझे नामर्द कहा था ना अपनी मर्दानगी का सबूत देकर जा रहा हूं। सारी उम्र ये बच्चा आपको ये याद दिलाता रहेगा कि मैं नामर्द नहीं। किसी का यूं दिल दुखाना अच्छा नहीं, आपने मुझे नहीं मेरे पापा को हर्ट किया था।
इतना कहकर वो जिया को छोड़कर चला गया।
लेकिन जिया को समझ नहीं आता कि जतिन ने ऐसा क्यों किया । उसका दिल टूट जाता है, हर समय चहचहाने वाली जिया गुमसुम सी रहने लगती है।
इस बात को दो महीने बीत गए। अजीत शाह से जिया का मुरझाया चेहरा देखा नहीं जाता। आखिर बेटी की खुशी के लिए एक दिन वो मेहरोत्रा के आफिस जाते हैं, अशोक मेहरोत्रा सबकुछ भूलकर दोस्त का स्वागत खुले दिल से करते हैं।
अजीत शाह," अशोक यार मुझे माफ़ कर दो मुझसे बहुत बड़ी गलती है गई, मुझे इस तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए था, मैं जतिन बेटे से भी माफी मांग लूंगा, अपनी बहू को खुशी से अपने घर ले जाओ, मेरी बेटी की खुशियां मेहरोत्रा मेंशन में हैं"
अशोक उठकर दोस्त को गले लगाता है, और जतिन भी आफिस के बाहर खड़ा ये सुन लेता है और अंदर आकर," अंकल आप मेरे पिता समान है, आप माफी मांगेंगे नहीं अपितु मुझे माफी देंगे, मैंने भी आपका दिल दुखाया है, मैं जिया से बहुत प्यार करता हूं, लेकिन आपको एहसास दिलाने के लिए मुझे ये नाटक करना पड़ा"
अशोक मेहरोत्रा हंसते हुए 😀," अजीत यार जाओ और हमारे स्वागत की तैयारी करो, हम आज अपनी प्यारी बहू को लेने आएंगे, और हां सुन दहेज में मेरी डिमांड है कि मुझे पहले वाला दोस्त अजीत शाह चाहिए, बोल कबूल?
अजीत," अरे यार तेरी हर बात कबूल'
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी,(यमुनानगर)
2209