मत बांटो इंसान को
"आकाश क्या सोच रहे हो, तुमने अपने माँ-पापा से बात की हमारे रिश्ते की"
"नहीं रेखा अभी नहीं पापा बहुत गुस्से वाले हैं , नहीं मानेंगे माँ से बात करने की कोशिश करता हूँ , शायद माँ कुछ हल निकाले"
"आकाश अगर पापा नहीं माने तो? मैं तुम्हारे सिवा किसी और की नहीं हो सकती, नहीं जी पाऊँगी मैं तुम्हारे बिना"
"मैं आज ही मां से बात करता हूं"
आकाश ने मां को रेखा के बारे में पापा से बात रखने को कहा।
माँ पापा को बहुत समझाती है लेकिन वो अपनी ज़िद पर अड़े हैं कि रेखा उनकी जात की नहीं है, वो रेखा को अपनी बहु नहीं बना सकते ।
आकाश की शादी तय हो जाती है उसकी जात की लड़की के साथ, रेखा से कोई रिश्ता ना रखने को कहा जाता है।
शादी में जब सब दोस्त आते हैं तो बहुत उदास होते हैं, आकाश सोचता है कि शायद मेरे और रेखा का रिश्ता ना होने की वजह से उदास है।
आकाश दोस्तों से रेखा के बारे में जानना चाहता है तो उनकी आंखों में आंसू देख कर घबरा जाता है
"तुम सब इतने उदास क्यों हो, और तुम्हारी आंखों में आंसू क्यों, जल्दी बताओ मुझे घबराहट हो रही है, रेखा ठीक है ना"?
दोस्त, " नहीं आकाश जब तुम दूल्हा बन रहे थे रेखा ने खुदकुशी कर ली"
यह सुन कर आकाश को गहरा धक्का लगता है ।
आकाश दम तोड़ देता है और अपनी रेखा के पास पहुँच जाता है ।
आकाश के पिता बुत बने आकाश को देख रहे हैं कि जिन्हें उन्होंने बांटने की कोशिश की ईश्वर ने उन्हें एक कर दिया।
जो इंसान पृथ्वी पर बांटे गए वह सुरलोक में जाकर एक हो गए।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)
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