कल आज और कल
कल जैसा था, आज वैसा है, कल ऐसा नहीं होने दूंगी।
मेरी पोती ( बिन मां की बच्ची है ) बड़ी हो गई है, कालिज खत्म हो गया उसका, नौकरी करना चाहती है, उसके पापा, दादा ने कहा, "लड़की की कमाई खाएंगे क्या ? हमें नहीं करानी नौकरी"
मैंने कहा,"लड़की है तो क्या हुआ, लड़की लड़कों से किस बात में कम है , आज की लड़कियां लड़कों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती है, कुंए का मेंढक नहीं बनेने दूंगी मैं इसे"
कल भी लड़कियों के लिए यही सोच थी, आज भी वही।
पढ़ाई में अच्छी होने के बावजूद हर साल अव्वल आने पर जब पढ़ाई खत्म हुई तो नौकरी का आफर सामने से आने पर भी मेरे पिता जी ने नौकरी करने से इन्कार कर दिया, बोले, " बेटी की कमाई नहीं खानी"
जब मेरी बेटी ने नौकरी करनी चाही तब मेरे पति और ससुर ने मना कर दिया, बोले लड़की नौकरी करेगी, लोग क्या कहेंगे।
लेकिन आने वाले कल मे ऐसी सोच ना हो, इसलिए मैं अपनी पोती को नौकरी करने से मना नहीं करूंगी। कल जैसा था आज भी वैसा है लेकिन कल ऐसा नहीं होगा।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी ( यमुनानगर)
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