पापा भी मैं हूं
राज़ुल और रूही शिवानी के जुड़वां बच्चे हुए, पति, अयान बहुत खुश था, हर साल बच्चों का जन्म दिन धूमधाम से मनाता, वक्त ने चक्का घूमाया ऐसा, एक महामारी आई करोना जिस की वजह से अयान की मृत्यु हो गई और एक महीने बाद बच्चों का जन्म दिन।
मासूम बच्चे, " मम्मा हमारा बर्थडे कौन मनाएगा, पापा तो हमसे दूर चले गए"
शिवानी ने बच्चों की बात सुनी तो मन में एक हूक सी उठी," कौन करेगा अब इन बच्चों को पापा वाला लाड, कौन देगा इस बच्चों को इनके हिस्से की खुशियां, अगर अयान होते तो कितने धूमधाम से बच्चों का जन्म दिन मनाते, वो नहीं रहे तो क्या इन बच्चों का खुशियों पर हक नहीं रहा?"
ये सोचते हुए शिवानी ने खुद को ढांढस बंधाया और दोनों बच्चों के लिए फ्लावर और तोहफे लाकर दिए " तुम्हारा पापा भी अब मैं हूं"
बच्चों के चेहरे खिल जाते हैं।
प्रेम बजाज ©®
जगाधरी (यमुनानगर)