नई दिल्लीः कल तक जो शख्स मुलायम सिंह यादव के 5 विक्रमादित्य मार्ग लखनऊ वाले बंगले के सर्वेंट रूम में रहता था, बिजली ठीक करने का काम करता था, 2012 में सपा सरकार आते ही अचानक औकात इतनी बढ़ गई कि मर्सिडीज स्पोर्ट्स से चलने लगा। कबीना मंत्री भी नीटू भैया-नीटू भैया करने लगे। वजह कि हमेशा मुलायम और मुख्यमंत्री अखिलेश के इर्द-गिर्द नजर आने से मैसेज चला गया कि यह शख्स अखिलेश की टीम का मेंबर है। जिस शख्स के पास चलने के लिए जर्जर स्कूटर भी नहीं था, आज वह लखनऊ की सड़क नापने वाला यह शख्स आज मर्सिडीज से चलकर हवा से बातें करता है। जानिए कैसे मुलायम सिंह यादव की कृपा दृष्टि पड़ते ही राजमिस्त्री जैनेंद्र सिंह यादव उर्फ नीटू की किस्मत चमक उठी। कहा जा रहा कि इंदिरा गांधी जब प्रधानमंत्री थीं तो जो हैसियत उनके सहयोगी वी जार्ज की थी वही हैसियत आज मुख्यमंत्री अखिलेश के राज में नीटू यादव की है।
एसी-गीजर ठीक करते थे नीटू
भाजपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने फेसबुक पोस्ट लिखकर एक राजमिस्त्री से नीटू के अरबपति बनने की कहानी बयां किया है। कहा है कि कभी नीटू यादव का काम बंगले में एसी, हीटर-गीजर ठीक करना था। बिजली चले जाने पर जेनरेटर चलाकर स्विच ऑन करने की जिम्मेदारी थी। जब 2012 में सपा की सरकार बनी तो अखिलेश की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमेशा उनके इर्द-गिर्द मौजूद रहने लगे। अखिलेश को तौलिया की जरूरत है तो तौलिया ला देना, पानी की जरूरत है तो पानी का गिलास माइक के पास थमा देना। धीरे-धीरे सत्ता के गलियारे से लेकर प्रशासनिक मशीनरी में बात फैल गई कि नीटू अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव का दुलरुआ हो गया है।
24 करोड़ से बन रहा इंदिरानगर में फ्लैट
भाजपा नेता आईपी सिंह ने फेसबुक पोस्ट में दावा किया है कि इंदिरानगर में 24 करोड़ रुपये से नीटू के बंगले का निर्माण चल रहा है। लखनऊ में नीटू ने करोड़ों की नामी-बेनामी संपत्ति अर्जित कर रखी है। मूल निवास बुलंदशह से लेकर पूरे देश में सैकड़ों करोड़ की संपत्तियों का राजमिस्त्री नीटू मालिक है।
सीएम से कोठी पर मिलना है तो नीटू से होकर गुजरना होगा
कहा जाता है कि नीटू यादव की मुख्यमंत्री के 5 कालिदास मार्ग आवास पर इतनी हनक चलती है कि बगैर सहयोग के अखिलेश यादव से कोई नहीं मिल सकता।सारे अप्वाइंटमेंट्स के काम नीटू यादव देखता है। हालांकि इधर बीच चर्चा थी कि तमाम शिकायतों के कारण मुलायम सिंह यादव नीटू यादव को पसंद नहीं करते, मगर कहा जाता है कि अखिलेश यादव का अब भी उस पर भरोसा कायम है।