देहरादून : पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के पौड़ी, चमोली, टिहरी, अल्मोड़ा और नैनीताल जिलों में आदमखोर बाघिन के आतंक की कहानी सदियों पुरानी हैं। बिजली की पहुँच से दूर इन गांवों में आदमखोर बाघ, बाघिन का रात में आना और बच्चों को उठा ले जाना यहाँ की सबसे बड़ी त्रासदी रही है। इस बार बाघिन ने आतंक मचाया उत्तराखंड के रामनगर में, बाघिन को पकड़ने और शूट करने के लिए वन विभाग ने बड़ा ऑपरेशन चलाया, 45 दिन हो गए लेकिन वन विभाग के हाथ नही लगी।
जिसमे बाद चमोली निवासी लखपत सिंह रावत को बुलाया गया तो लखपत को महज 10 मिनट लगे और उन्होंने सिर्फ 10 मीटर को दूरी से बाघिन को ढेर का दिया। इस बार लखपत ने निशाना बाघिन की खोपड़ी में मारी जिसके बाद भी वह छटपटाती रही। लखपत के आदमखोरों के शूट करने की यह कोई पहली कहानी नही है। लखपत अब 56 आदमखोर बाघों को ढेर कर चुके हैं लेकिन लखपत शिकारी बने कैसे इसकी कहानी बड़ी दिलचस्प है।
लखपत के शिकारी बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प
उत्तराखंड में जहाँ-जहाँ,जब-जब आदमखोर ने आतंक मचाया तो हर बार वह लखपत की ही गोली का शिकार बने। 45 साल के लखपत सिंह रावत अब तक 56 से ज्यादा आदमखोर बाघों को अपनी गोली का शिकार बना चुके हैं। लखपत पेशे से स्कूल के शिक्षक हैं लेकिन उनकी शिकारी बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। चमोली के रहने वाले लखपत के स्कूल में एक बार ऐसे आदमखोर बाघिन ने 12 बच्चों को अपना निवाला बना लिया।
लखपत इस घटना से लखपत इतने टूट गए कि उन्होंने बाघिन से बदला लेने की ठान ली। सरकार ने भी आदमखोर के आतंक को देखते हुए लखपत को गुलदार को मारने की अनुमति दे दी और कई दिनों की मशक्कत के बाद लखपत रावत ने 12 बच्चों को शिकार बनाने वाले आदमखोर गुलदार को ढेर कर दिया।
लखपत अब तक प्रदेश में आदमखोर हो चुके कुमाऊं मंडल के 11 और गढ़वाल मंडल के 36 गुलदारों को ढेर कर चुके हैं। इन दिनों लखपत अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया में आदमखोर हो चुके गुलदार को ढेर करने की जिम्मेदारी लेकर यहां मोर्चा संभाले हुए हैं।