आज वो नाराज़ है
सुबह से बात हुई नहीं
दिल आज धड़क रहा है भी कि नहीं , पता नहीं
ऐसी तो कि हमने कोई खता नहीं
आज जिन्दगी कोरे कागज़ सी लग रही है
जिस्म मे जान है भी कि नहीं, पता नहीं
वो जान ले तो बस इतना जान ले कि
वो रहते है मेरी नज़रो मे रौशनी बनके
आज नजरो को कुछ नज़र आ रहा है भी कि नहीं, पता नहीं
कल तक तो खूबसूरत थी दुनियाँ
आज सुबह से अँधियारा है
उनकी यादों के जंगल मे सुरज निकलता है भी कि नहीं , पता नहीं
आज वो नाराज़ है
अब वो राजी हो जाएंगे इसके आसार है भी कि नहीं , पता नहीं