दर्द का दुसरा नाम महबूब है
काटो सा चुभता गुलाब है
मेरी पुरानी खताओं को माफ़ कर दो तो
पेश ए खिदमत , एक नई खता जनाब है
दर्द वो हि देते है, जो दिल मे रहते है
बाकि लोगो को आपसे क्या मतलब है
दर्द का दूसरा नाम महबूब है
मेरी हर गजल मे तेरा जिक्र शामिल है
किसी ग़ज़ल मे तू सितारा है
किसी ग़ज़ल मे आफ़ताब है
मेरा नगमा गुंजेगा एक दिन हर दिशा मे
क्युकी , मेरे हर नगमे मे दुआ बनके मौजूद ' रब' है