गर तुम्हारी इज़ाज़त मिल जाए
मेरी आँखों को तुम्हारी सुरत का दीदार मिल जाए
है जन्मो का रिश्ता हमारा जिसे तुम भूल गई हो
ना जाने क्यू मेरी दुनियाँ मे आई हो
मेरी दुनियाँ मेँ आई हो जो तुम तो
फिर क्यु ना मुझको , तुम्हारा प्यार मिल जाए
गर तुम्हारी इज़ाज़त मिल जाए
मुझे नशेमन कि तलाश नहीं , मैं समन्दर का प्यासा हू
मुझे भर ले तू बाहों मे ,
शायद मेरे प्यासे दिल को करार मिल जाए
गर तुम्हारी इज़ाज़त मिल जाए