खुद को गैरो के लिए कुरबान कर देता हु
काफ़ी कोशिश कि मैंने ,
फिर भी अच्छा इन्सान नहीं बन पाता हु
कभी खुद को देखता हु , कभी आईने को
अब पहले जैसा खुद को नहीं पाता हु
वो तो सिर्फ एक ख्याल भर है
मै प्यार नहीं करता उनसे ना किसी और से
बस खुद को बहलाता हु
दुनिया के मेले मे ख़ुद को तन्हा पाता हु
माँ अब तेरा आँचल नहीं है , तेरी लोरिया भी नहीं
और तेरा प्यार भी नहीं , और तू भी नहीं
कोशिश दिल से करता हु ,
फिर भी तेरा राजा बेटा नहीं बन पाता हु
अपनी नज़रो मे खुद को शर्मिन्दा पाता हु
मै बदला हु या दुनियाँ , मुझे नहीं पता
मै तो हर पल को जीता हु
कोई मुझे हरा दे ऐसा भी नहीं , मै किसी से हार जाऊ ऐसा भी नहीं
मै तो हर दिल मे ईश्वर को पाता हु
पापा तुम्हारी उंगलिया क्या छुटी मेरे हाथो से
सारी दुनिया वीरान पाता हु
मै अब अपने मे हि रहता हु
यादो मे तुम्हारी दिन रात खोया रहता हु
मैंने मुस्कुराना कब का छोड़ दिया है
आँखों मे अपनी ,
तुम्हारी तस्वीर और समन्दर दोनों रखता हु
काफी कोशिश करता हु
फिर भी तुम्हारा राजा बेटा नहीं बन पाता हु
खुद को अपनों के लिए कुरबान कर देता हु
काफी कोशिश करता हु ,
फिर भी अच्छा इन्सान नहीं बन पाता हु