हर लफ्ज़ आखरी है
हर बात आखरी है
तुमसे मिल के ना जाने क्यू ऐसा लगता है
ये मुलाकात आखरी है
दिल मेरा तुम्हे चाहता है ,
बस यही कसूर इस जन्म का आखरी है
जानता नहीं मै , मगर फिर भी कहता हु
ज़िन्दगी का ये पल आखरी है
या मेरे जज़्बात आखरी है
तुमको भी मुझ से प्यार हो जाएगा
मेरी आँखों में अपना चेहरा देख लो
या फिर आईने मे ख़ुद को गौर से देख लो
मेरी इल्तज़ा पहली है या
ये ख्वाहिश आखरी है
आ जाओ कि तुमको जीना सीखा दू
भूल गई हो जो अहसास प्यार के , तुम मे फिर से जगा दू
मुझ को अपना बेशुमार प्यार दे दो
मेरी और मेरे दिल कि आदत तुम हो
मुझ मे अपनी मोह्बत डाल दो
जो तुम से कही है , मेरी जिन्दगी के खुदा
तेरे सामने तेरे सजदे में , मेरी दुआ आखरी है
आईना भी अब तो मुझ से सवाल करता है
मेरे अन्दर जब से तुम रहने लगी हो
मुझ मे, मै हु या तुम हो
जवाब दो , मेरा सवाल आखरी है