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1 किताब
आज वो नाराज़ है सुबह से बात हुई नहीं दिल आज धड़क रहा है भी कि नहीं , पता नहीं ऐसी तो कि हमने कोई खता नहीं आज जिन्दगी कोरे कागज़ सी लग रही है जिस्म मे जान है भी
गर तुम्हारी इज़ाज़त मिल जाए मेरी आँखों को तुम्हारी सुरत का दीदार मिल जाए है जन्मो का रिश्ता हमारा जिसे तुम भूल गई हो ना जाने क्यू मेरी दुनियाँ मे आई हो मेरी दुनियाँ मेँ आई हो जो तुम तो फिर क
कोई आजकल हमसे प्यार करने लगा है दिल हमारा भी धड़कने लगा है बसन्ती बहार चलने लगी है दिल मे गुलाब प्यार का खिलने लगा है उनका चेहरा है या चाँद है पूनम का जब भी देखता हु उनको , हसरतों को अपनी सम्भाल नहीं
खुद को गैरो के लिए कुरबान कर देता हु काफ़ी कोशिश कि मैंने , फिर भी अच्छा इन्सान नहीं बन पाता हु कभी खुद को देखता हु , कभी आईने को अब पहले जैसा खुद को नहीं पाता हु वो तो सिर्फ एक ख्याल भर है मै
मंज़िल से भटक गया हु प्यार कि राहो मे जो आ गया हु ऐसा लगता कि काबा काशी हो आया हु तेरे पहलू मे जो आ गया हु मुझे उनके घर ना ढूंढें कोई मैं तो उनके दिल मे रहने लगा
माँ तुम बड़ी याद आती हो क्यू नहीं अपनी लोरिया सुनाने वापस आ जाती हो बिगड़ गया है तुम्हारा बेटा क्यू आके डाट नहीं लगाती हो माँ तुम बड़ी याद आती हो देखता हु दुनिया
बरसात के मौसम में मोहब्त हो ना जाए दिल तुझको देख के तुझे पाने को मचल ना जाए सितारा टूट ना जाए चाँद अकेला हो ना जाए तन्हा रात मे दीवाना हो ना जाए ऐ
प्यार का मुझपे से जरा बुखार उतर जाने दो बारिश कि कुछ बुँदे मुझपे जरा गिर जाने दो दिल के हालत जरा संभल जाने दो फिर आना तुम मेरे अंगना पहले आदमी को आदमी जरा बन जाने दो तुम क्या जानो
हर लफ्ज़ आखरी है हर बात आखरी है तुमसे मिल के ना जाने क्यू ऐसा लगता है ये मुलाकात आखरी है दिल मेरा तुम्हे चाहता है , बस यही कसूर इस जन्म का आखरी है जानता नहीं मै , मगर फिर
नज़र भर के देखु तुझे तेरा प्यारा रूप चुरा लु इतना हो जाए तेरा मुझ पे एतबार तेरे लबों से तेरा इनकार चुरा लु फूल जो खिले तेरे मन मे , मेरे प्यार का
क्यु नाराज़ हो तुम हर खता क़बूल है मेरे लिए अनमोल हो तुम , तुम्हारी दी हर सज़ा क़बूल है जलते है हम दिए कि तरह बोल दो बस इक बार , तुम्हारी रौशनी क़बूल है
तेरा मेरा रिश्ता है जन्मो का जो तुम भुल गई हो हर पल है मेरा तुम्हारे नाम , तुम आज में खोके , कल को भुल गई हो खता तुम्हारी हो या मेरी , ऐसा लगता है कि मुझको, तुम सज़ा देके भुल
दिल कि धड़कनो ने कहा वो आ जाए तो चलना शुरू करे रात हो जाए , चाँद निकल आए दिल के आसमा पे तो महबूब से प्यार शुरू करे दिल कि हसरतो का मज़मा लगा है
ए ज़िन्दगी और सब कर मगर मुझे और शर्मिन्दा मत कर फरेब कि इस दुनियाँ मे मुझे मार कर , फिर से ज़िन्दा ना कर ना दे कोई ईनाम दे, ना दे कोई दुआ मगर मेरे गम से मेरा दिल हल्का तो क
ना कोई कविता है ना कोई ग़ज़ल है भुल गए है जबसे वो हमको दुनियाँ कि भीड़ मे अकेले हम है देखता हु उनको तो यु लगता है ख़ुदा है या आँखों का भरम है लेकिन उनसे अब कैसे मिलु दूर
तेरे हसीन चेहरे को देखु वो अच्छा दिल पे अपने हसरतो का बोझ क्यू लु इस बारिश मे तुम भी नहा लो, मे भी नहा लु सावन की इस पहली फुहार मे तुम्हारे संग भीग लु दिल पे अपने मोहब्तो का बोझ क्य
उन्होंने मुझको अकेलेपन कि शिदत से मारा अब मुझको नफरत हो गई है ,उनसे और उनकी मोह्बत से आईना टूट गया है दिल का, उनकी बेरुखी से अब मुझको नफरत हो गई है, उनसे और उनकी सुर
बारिश के इस सुहाने मौसम मे दिल मेरा तुझे याद करता है वो साथ भीगने के ज़माने याद करता है भीगी हुई रातो कि वो , बाते याद करता है बारिश के इस सुहाने मौसम मे तुम्हारी हॅ
अबकी बार बारिश जो बरसे तो मेरी आँखों से बरसे मेरे महबूब तोडा तो दिल तुमने है तो क्यु ना मेरी याद मे,तेरी आँखों से लहु बरसे जैसे मैं तरस रहा हु
दर्द का दुसरा नाम महबूब है काटो सा चुभता गुलाब है मेरी पुरानी खताओं को माफ़ कर दो तो पेश ए खिदमत , एक नई खता जनाब है दर्द वो हि देते है, जो दिल मे रह
मुझको प्यार मे तन्हाई मिली आपको क्या मिला साथ चलते थे वो मेरे ,तो लगता था खुदा साथ है अब जुदा हो गए है वो मुझसे, तो यु लगता है, जिस्म हि ख़ाली रह गया है मेरे पास,जान
जिन्दगी रही तो तुझसे मिलेंगे जरूर तेरे दिल मे रहेंगे , नैनों मे रहेंगे,तेरी यादो में रहेंगे, कही भी रहे,मगर रहेंगे जरूर बादल आ गए है जो, मोह्बत कि बारिश लेके तो तेरे
मेरे आँसू , मेरा दर्द , मेरा गम कोई लेने वाला हो, तो बताना मैं जिन्दगी को जीना चाहता हु एक मासूम बच्चे की तरह कोई मुझसे प्यार करने वाला हो तो बताना मेरी आरजु बस इतनी है कोई
वो तेरा घर जो मेरे घर के करीब है तेरा घर महल अमीर है, मेरा घर झोपड़ी गरीब है वो तेरा घर जो मेरे घर के करीब है कल मिल गए थे,कुछ
मैं तेरा हु सिर्फ तेरा एतबार कर मेरा चिराग़ बनके जला हु तो ये रौशनी रहेगी उमर भर एतबार कर मेरा मै तेरा हु सिर्फ तेरा मुझको अपने दिल मे बसा लो कब तलक
हाथ से रेत फिसलती रही वक़्त के साथ दुनिया बदलती रही जिन्दगी तुझे देखा तो तबियत बिमार कि बहलती रही हाथ से रेत फिसलती रही मौसम को भी
आओ सबका करे भला जो मुझ तक आ पहुंचा है वो मेरे लिए ख़ुदा है मैं ख़ुदा के किसी काम आया और क्या चाहिए भला आओ सबका करे भला मेरे दिल मे भी जख्म है चलते है जो गमो कि हवा के झोके नास
आज एक सुरज और ढल गया चाँद के पास से टूट सितारा गया फलक पे चमकते रहेंगे शब्दों के मोती कोई ग़ालिब , कोई मोमिन , आज फिर जिन्दगी कि जंग हार गया दिल कि नाव का डुब आज
तेरी याद ने दिवाना बना दिया शमा बनके जो जली हो तुम हमको उमर भर जलने वाला, परवाना बना दिया तेरी याद ने दिवाना बना दिया मुझको तस्वीरें तुम्हारी ,कुछ जो
अपने अन्दर जलते हुए अपने अरमान देखे भड़के हुए शोलो की आग से हाथ सेकते हुए इन्सान देखे क्या सोचा था और क्या देखा हमने अपने लोगो को बदलते देखा काफी दिन हुए आईना देखे हुए
फिर मन उदास हो गया जो कल तक था अपना वो आज , किसी और के लिए ख़ास हो गया कल तक खिलखिलाती थी गज़ले मेरी उसकी बेबाक शोख़ी में डूबी नज़्मे मेरी कागज़ कि खिड़की से झाकत
प्यार है या सज़ा समझ आता नहीं दर्द है या दवा मुझको पता नहीं मेरे दिल जरा बता जो है प्यार उनको मुझ से तो नज़र क्यु आता नहीं प्यार है या सजा मेरे दिल की किस्मत शायद खर
मै अटल हु और हमेशा अटल रहुँगा तुम्हे हमेशा याद आता रहुँगा आज जाता हु , घर से बुलावा आ गया है मगर तुम रोना मत , मैं तो हर युग में आता रहुँगा म
प्यारी बहना आ रही है अपना प्यार लेकर मै भी तैयार हु उसके लिए प्यारा उपहार लेकर उसके आँसू उसके गम , सब आज मै उससे मांग लूँगा वो भी तो आ रही है मेरे लिए खुशियों