उन्होंने मुझको अकेलेपन कि शिदत से मारा
अब मुझको नफरत हो गई है ,
उनसे और उनकी मोह्बत से
आईना टूट गया है दिल का, उनकी बेरुखी से
अब मुझको नफरत हो गई है,
उनसे और उनकी सुरत से
लब तक उनके ले आई, मुझको प्यास मेरी
अब अपने आप को वापस खिच लुँगा, उनके करीब से
और वादा ले लुँगा, उनके करीब न जाने का,
अपने दिल कि हर हसरत से
वो है सितमगर तो सितमगर ही रहे, उम्र भर
मे अपने ज़ख्मो का हिसाब, उनसे यु लुँगा
प्यार अब उनसे नहीं करूँगा ,
कर लुँगा प्यार चाहे किसी बेजान मुरत से
वो फ़रेब का चेहरा होकर भी,
मुझ से फरेब न कर पाए
ऐसे दुश्मनो को मेरा 'सलाम'
और फरेब कि इस दुनिया मे, फरेब खाया है मैंने
मेरे अजीज ओ जा निसार दोस्त से
उन्होंने मुझको अकेलेपन कि शिदत से मारा
जिनको दि दुआ उन्होंने बदुआओ से मारा
मैं अकेला कितनी बार मरु
हर बार मरके जिन्दा हो जाता हु किस्मत से