नई दिल्ली : नोटबंदी के बाद देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट आने की संभावना जताई जा रही है। केंद्र सरकार ने अपने ताजा आंकड़ों में बताया है कि साल 2016-17 की जीडीपी ग्रोथ 7.1 फीसदी रहेगी लेकिन केंद्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है, कि साल 2016-17 के जीडीपी अनुमान में नोटबंदी के इम्पैक्ट को नहीं लिया गया है। इसलिए जीडीपी ग्रोथ 6 फीसदी तक गिरने की संभावना है।
देश के कई बड़े अर्थशास्त्री भी सरकार के इन आंकड़ों से इत्तेफाक नही रखते हैं। उनका मानना है कि सरकार ने जो आंकड़े दिए हैं उनके अनुसार इसमें नोटबंदी के इम्पैक्ट को जोड़ा ही नही गया है जबकि उसका असर आगामी जीडीपी के आंकड़ों पर जरूर पड़ेगा। उनके अनुसार नोटबंदी का इम्पैक्ट अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही से लेकर जनवरी-मार्च की तिमाही में भी दिखेगा।
ऐसे में साल 2016-17 के लिए जीडीपी 7.1 फीसदी की जगह 6 फीसदी के आसपास रहने रहने की संभावना है। वहीँ देश के पूर्व योजना आयोग के उपाध्यक्ष और जानेमाने अर्थशास्त्री मोंटेक सिंह अहलूवालिया का कहना है कि नोटबंदी के असर से जीडीपी 5 फीसदी तक भी आ सकती है।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि 'पहले रिजर्व बैंक ने और अब केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने जीडीपी वृद्धि कम रहने का अनुमान व्यक्त किया है. इससे सरकार के दावों और बड़े बोलों की पोल खुल गई है.' चिदंबरम ने कहा, 'नोटबंदी की वजह से जीडीपी वृद्धि और कम होगी. एक प्रतिशत कमी का मतलब है 1.50 लाख करोड़ रुपये का नुकसान.'