इधर काव्या भेज तो देती हैं पर खुद को नहीं समझा पाती और हर बख्त उदास खोई खोई रहती हैं उधर हाल उसका भी वही था न काव्या का पढ़ाई में मन लगता हैं न वेद का काम में एक दिन वेद अपनी बाइक से जा रहा होता हैं और एक एक्सीडेन्ट में काफी घायल हो जाता हैं होस्पीटल में भर्ती होने पर इलाज होता हैं जान तो बच जाती हैं किन्तु याददाश्त चली जाती हैं ।
होश आते हीं वह कहता हैं मैं कहा हूं और मुझे यहा कोन लाया हैं, मैं कोन हूं उसके यह सबाल सुनकर नर्स दौड़ कर डाक्टर को बुलाती हैं बाहर से वह व्यक्ति भी डाक्टर के साथ अन्दर आता हैं जो उसे होस्पीटल लेकर गया था डाक्टर उसको चैक करते हुये बड़े मधुरता से कहता हैं देखिये आपका एक्सीडेन्ट हो गया था और ये आपको यहा लाये हैं आप सिटी होस्पीटल में हैं घबडाने की कोई बात नही हैं आप जल्द हीं ठीक हो जायेंगे ।
वह डॉक्टर से पुनः कहता हैं डॉक्टर मेरा एक्सीडेन्ट कब और कहा हुआ मैं यहा कब से हूं । डॉक्टर कहते हैं आपको यहा दो दिन हुये हैं और तभी से ये सज्जन आपके साथ यहा हैं और ये हीं आपको यहा लाये हैं क्या आप इन्हें जानते हैं वेद ना में सर हिलाता हैं और कहता हैं आप कोन हैं? क्या आप मुझे जानते है? क्या आप जानते हैं मेरा एक्सीडेन्ट कैसे हुआ था और किसने किया था मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा ।
उधर काव्या पिछले दो दिन से लगातार उसका फोन लगा रहीं होती हैं जो कि स्विच्ड ओफ होता हैं लगातार फोन न लगने के कारण उसके मन में भाँति भाँति के विचार आने लगते हैं एक पल में वेद की चिन्ता के भाव होते हैं कि उसके साथ कुछ हो तो नहीं गया वहीं दूसरे पल मन में दूसरे भाव आने लगते हैं कही एसा तो नहीं कि उसने मुझे धोका दे दिया हो इसी लिये सायद उसने कम्पनी बदलने का फिर शहर बदलने का नाटक किया हो मुझपर तो उसका कोई पता भी नहीं अगर उसने सिम बदल ली हो तो मैं उसे अब कैसे ढूड पाऊंगी फिर अगले हीं पल नहीं वेद मुझसे बहुत प्यार करते थे वह ऎसा नहीं कर सकते निश्चित हीं कुछ और वजह होगी वह मुझे धोका तो कदाचित नहीं दे सकते।
इधर वह इंसान जो वेद को होस्पीटल लाया था कहता हैं बेटा दिमाग पर ज्यादा जोर मत दो जब भगवान की क्रपा से जान बच गयी हैं तो याददाश्त भी आ ही जायेगी वेद दुखी मन से कहता हैं मैं कोन हूं? अगर मुझे अपना हीं पता नहीं चलेगा तो मेरे परिवार में कोन कोन हैं कैसे पता चलेगा? उन लोगों का क्या हाल हो रहा होगा ?
वह पुनः समझाते हुये बेटा तुम चिन्ता न करो हमने पुलिस कार्यवाही कर दी हैं तुम्हारे पास एक आईडी थीं तुम्हारे बेग में तुम्हारे कुछ कागजात थे पहले तुम सही हो जाओ सब आपको दे देंगे उन्हें देख कर शायद तुम्हें कुछ याद आ जाये एक मोबाइल भी था जो पूर्ण तरह से खत्म हो चुका हैं नहीं तो उससे भी कुछ मदद मिल जाती । अभी ज्यादा मत सोचो बस पहले शरीर से स्वस्थ हो जाओ उसके बाद तुम्हारा पता भी कर लेंगे ।
उधर काव्या का रो रो कर बुरा हाल हो रहा था एक सप्ताह बीत चुका था वेद की न कोई खवर थी न हीं कोई फोन काव्या ने अब अपना रो रो कर बुरा हाल कर लिया था खाना पीना सब छोड दिया था अब उसने कोलेज जाना भी छोड़ दिया था और हर पल वेद के विषय मे सोचती थी वह उससे कैसे मिली उसके बाद स्वीमिंग पूल मे वेद का उसे बचाना सोसायटी के, कॉलेज के व शहर के अन्य पार्को में मिलना उसके सीने पर सर रखकर घण्टो बातें करना सारी सारी रात एक दूजे के साथ बिताना, एक दूजे को अपने हाथों से खाना खिलाना हर एक छोटी छोटी बात उसे रह रह कर याद आ रहीं थी ।
वार वार मन कहती कि वेद मुझे धोका नहीं दे सकता वेद ऐसा हैं हीं नहीं किन्तु अगले हीं पल अगर एसा नहीं तो उसने फोन क्यो नहीं किया और नहीं किया वहां तक भी ठीक उसका फोन बन्द क्यो आ रहा हैं अगर ऐसा हीं रहा तो मैं पागल हो जाऊंगी अब उसका हाल देख कर उसके घर बाले भी उसको भला बुरा कहने लगे थे।
उधर शारीरिक तोर पर वेद अब स्वस्थ होने लगा था अब होस्पीटल से भी उसे छुट्टी मिलनी थी उसकी एक और चिन्ता बढ़ गयी कि माना बिल का भुगतान यह सज्जन जो यहा लाये हैं कर भी देंगे पर अब यहाँ से छुट्टी के बाद मैं जाऊगा कहां मुझे कुछ भी तो ज्ञत नहीं तभी वह सोचता हैं मेरा बैग जो कि इन सज्जन ने कहा था शायद उससे कुछ पता चल जाये। अब वह उनके आने का वेसब्री से इंतजार करता हैं जैसे जैसे उन्हें आने में देर होती हैं वैसे वैसे उसके दिल की धड़कन बढने लगती हैं हर बीतता पल उसे युगो के समान लगने लगता हैं वह अब खुदकी पहचान चाहता हैं उसके मन में रह रह कर एक ही ख्याल होता हैं कि न जाने कोन कोन मेरे लिये परेशान हो रहें होंगे। मैं भी अब सही होकर कहां जाऊगा।
मेरा बैग जो कि इन सज्जन ने कहा था शायर उससे कुछ पता चल जाये। अब वह उनके आने का वेसब्री से इंतजार करता है जैसे जैसे उन्हें आने में देर होती हैं वैसे वैसे उसके दिल की धड़कन बढने लगती है। हर बीतता पल उसे युगो के समान लगने लगता हैं वह अब खुदकी पहचान चाहता हैं उसके मन मे रह रह कर एक हीं ख्याल होता हैं कि न जाने कोन कोन मेरे लिये परेशान हो रहें होगे। मैं भी अब सही होकर कहां जाऊंगा।
काव्या हर पल भगवान से विनती करती हैं, हे भगवान बस एक वार मुझे उसका पता चल जाये आखिर पता तो चले कि उसने मुझे धोका दिया हैं या वह खुद किसी मुसीबत में हैं मेरा दिल किसी अनहोनी की आशंका से बैठा जा रहा है। काव्या का रो रो कर बुरा हाल हो रहा होता हैं उसकी हिरनी जैसी सुन्दर आंखें रो रो कर लाल हो जाती हैं हर समय उसकी आंखों से अश्रु धारा बहती हीं रहती हैं वह सजल नेत्रों से भगवान से विनती करती हैं भगवान अगर उसने मुझे धोका भी दिया हैं तब भी बस एक वार उसका पता चल जाये मैं यह सोच कर ही खुस हो जाऊगी कि जिसने मुझे धोका दिया वह सकुशल हैं वह खुस हैं..... हो सकता हैं मुझमे हीं कोई कमी रहीं होगी कि उसने मुझे धोका दे दिया पर एक बार बस एक बार उसका पता चल जाये कि वह हैं कहां और कैसा हैं ।
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सांय को जब वह सज्जन होस्पीटल पहुचते हैं
वेद - बड़ी हीं वेसब्री से आज आप कहा रह गये आपने आने में बहुत देरी कर दी कब से मैं आपकी राह देख रहा था।
सज्जन - आना तो जल्दी हीं चाहता था पर कुछ कानूनी प्रकिया में समय लग गया अब तुम ठीक हो चुके हो होस्पीटल से भी अब तुम्हे डिस्चार्ज कर दिया जायेगा तो तुम्हारे जो एक्सीडेन्ट का केस थाने में हैं और तुम अपनी याददाश्त भी खो चुके हो तो यू ही तो डिस्चार्ज नहीं किया जा सकता इस लिये आज देरी हो गयी ।
वेद - उतनी ही वेचेनी से क्या हुआ आप बताये मेरा वह बैग कहां हैं जो आप कह रहे थे कृपया मुझे दे ताकि मैं कुछ तो जान सकूं ।
सज्जन - बेटा हमने उनके आधार पर तुम्हारी कम्पनी का पता लगा लिया हैं जिसमें तुम कार्यरत थे वहा से ज्यादा कुछ तो नहीं पर तुम्हारे वर्तमान पते की जानकारी जरूर मिली हैं और वहां पता करने पर ज्ञात हुआ था कि तुम अकेले थे फिर भी सूचना के साथ तुम्हारी तस्वीर अखबार में छपबा दी हैं उपलब्ध जानकारी के साथ जब तक तुम्हारे परिवार वालो का पता नहीं चल जाता तुम मेरे साथ रहोंगे। इसकी भी मैने पुलिस से परमीशन ले ली हैं ।
वेद - रोते हुये आप मेरे लिये इतना क्यो कर रहे हैं आखिर मैं आपका कोन लगता हूं इतना तो कोई अपनी औलाद के लिये भी नहीं करता ।
सज्जन शायद होगा कोई रिस्ता हमारा तुम्हारा या पूर्व जन्म का तुम्हारा कोई ऋण होगा मुझपर जिसे चुका रहा हूं । तुम चिन्ता मत करो अखबार में ख़बर देख कर अगर तुम्हारा कोई परिवार होगा तो वो लोग आ हीं जायेंगे।
सारी आवश्यक कार्य वाही करने के उपरान्त वह सज्जन वेद को अपने साथ ले जाते हैं वेद के मन में रह रह कर अपने बजूद को लेकर कि मैं कोन हूं? और किसकी दूआओ का असर था कि इतने बड़े एक्सीडेन्ट के बाद भी मैं बच गया और किस अपराध की सजा थी कि मोत से भी बदतर ज़िन्दगी मिली कि मुझे खुद पता नहीं मेरा वजूद क्या हैं और ये सज्जन क्यो मेरे लिये इतना कर रहें हैं ये मेरे कोन लगते हैं बहुत कुछ सोच रहा होता हैं । इतने में हीं सज्जन आ जाते हैं और उसे अपने साथ अपने घर ले जाते हैं ।
उनके घर में पहुचते हीं एक रूम जो कि पहले से हीं वेद के लिये तैयार किया हुआ था में वेद को ले जाकर बिस्तर पर लेटा दिया जाता हैं उनकी एक बेटी जिसकी उम्र भी लगभग वेद के बराबर हीं होगी वेद के लिये फल व जूस लेकर आती हैं और वेद का हाल पूछती हैं वह कुछ और बोलना चाहती हैं से पहले ही पिता उसे टोक देते हैं बेटी अभी उन्हें आराम की जरूरत हैं बाते बाद में भी हो जायेगी अब इन्हें यही रहना हैं अभी आराम करने दो ।
इस प्रकार दिन एक एक कर बीतते जाते हैं दिन से सप्ताह और सप्ताह से महीने वेद अब ठीक होने लगता हैं अब वह उठने बैठने भी लगता हैं किन्तु उसे पिछला कुछ भी याद नहीं आता ।
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काव्या की पढाई भी पूरी हो चुकी होती हैं और वह घर में खोई खोई सी रहने लगती हैं उसके घर वाले उसे बहुत समझाते हैं पर कहते हैं कि जिसे एक वार गम लग जाये वह सहज हीं पीछा नहीं छोडता काव्या को तो बहुत बड़ा सदमा लगा था वह उससे निकलना हीं नहीं चाहती थी क्योंकि अभी तक वह यह निर्णय नहीं कर पा रहीं थी कि वेद ने उसे धोका दिया हैं या वेद के साथ कुछ हुआ हैं जिस समाचार पत्र में वेद की खबर छपी थी वह समाचार पत्र एक दिन उसके हाथ लगता हैं किन्तु पुराना होने के कारण फोटो मिट चुकी होती हैं और वह उस पर अपनी उदासी के कारण ध्यान नहीं देती है।
उसका शरीर भी अब कमजोर होने लगता हैं खाने पीने से तो जैसे उसे घृणा हीं हो गयी थी अकेली अकेली कमरे में बन्द वेद के साथ बिताये उन पलो को याद करती और रोती रहती थी । उन दिनों घर में बड़ी बहन आई हुई थी जो कि गुजरात मे रहती थी वह समझा बुझा कर बडी मुस्किल से उसे कुछ समय की कहकर अपने साथ गुजरात ले जाती हैं पहले तो वह किसी भी हाल में जाने को तैयार नहीं होती हैं फिर उसे समझा कर कि जगह बदलने से कुछ मन बदलेगा फिर जब चाहो आ जाना इसमें हर्ज हीं क्या हैं बडी बहन उसे अपने साथ ले जाती हैं ।
क्रमशः