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हर घर तिरंगा हो

6 अगस्त 2022

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घर घर में तिरंगा हो, हर घर में तिरंगा हो।
निर्मल हो माँ यमुना, पावन माँ गंगा हो।।
ना भूका सोए कोई, ना कोई तन नंगा हो।
हर सिर पर छत हो, आँकड़ा  यह सो प्रतिशत हो।।

घर घर में तिरंगा हो, मन सबका चंगा हो।
देश में आतंक नहीं फैले, न कोई दंगा हो।।
भाई का भाई से,  कभी न कोई पंगा हो।
हर एक के दुख सुख में, खड़ा दूजा बंदा हो।।

इस तिरंगे में सजे हुये हैं, देश के सारे धर्म।
पता नहीं हैं क्यू कोई, यह समझ न पाया मर्म।।
केसरिया हैं रंग धर्म का, जो हिंदुओं ने अपनाया।
देश की सौर्य पताका का, परचम जग में लहराया।।

और सफ़ेद हैं रंग शान्ति का, ईसाइयों नें जो है पहना।
चक्र अशोक का नीला रंग, पगड़ी का सिक्खों का गहना।।
और हरे रंग को तुम देखो,  प्रकृति का बना वरदान ।
मुस्लिमों ने इसी रंग को, बनाया अपनी पहचान।।

इसी लिये तो मैं कहता हूं, क्यू न हम यह काम करें।
चारो रंग हम साथ में मिलकर, तिरंगे की शान बने।।
न हो कहीं आतंकी हमला, न कहीं भी हो दंगा।
गंगा जमुनी तहजीब का, बनाए इक ऐसा तिरंगा।।

हर घर में तिरंगा हो, घर घर में तिरंगा हो।
न देश कोई लूटे, न मन किसी का गंदा हो।।
भृष्टाचार अगर करे कोई, वह चौडे में नंगा हो।
मेरी जान तिरंगा हो, अभिमान तिरंगा हो।।

हर भारत वासी के हाथों में, भारत का झंडा हो।
ईमान तिरंगा हो, और स्वाभिमान तिरंगा हो।।
रामायण गुरुवाणी, के संग अजान तिरंगा हो।
साबन का पावन महीना, और रमजान तिरंगा हो।।

स्वरचित मौलिक रचना
गिरधारी लाल चतुर्वेदी सरदार
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प्रेम पर आधारित कहानी हैं। जिसमें प्रेम हैं करुणा हैं विश्वास हैं सब कुछ है एक बार जब आप पढेंगे तो निरन्तर पढेंगे
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घर घर में तिरंगा हो, हर घर में तिरंगा हो।निर्मल हो माँ यमुना, पावन माँ गंगा हो।।ना भूका सोए कोई, ना कोई तन नंगा हो।हर सिर पर छत हो, आँकड़ा यह सो प्रतिशत हो।।घर घर में तिरंगा हो, मन सबका चंगा हो।

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