लखनऊ : शिक्षकों को ट्रांसफर से मिलेगी आजादी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को ट्रांसफर के चक्र से मुक्ति मिकलने वाली है। उन्हें ग्रामीण, अर्ध शहरी और शहरी इलाकों में दस-दस वर्ष का स्थायी कार्यकाल मिलेगा। इससे गांवों के स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता तो बढ़ेगी ही, शिक्षक का संबंधित स्कूल और उसके छात्रों के साथ जुड़ाव भी गढ़ेगा। लिहाजा, शिक्षक उस स्कूल के लिए बेहतर नतीजे लाने पर भी जोर देगा।केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को पत्रकारों के साथ विशेष बातचीत में यह एलान किया।
शिक्षकों की कमी के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि सरकारी शिक्षकों की संख्या कम नहीं है, लेकिन उनकी तैनाती तार्किक रूप से नहीं हो रही। लखनऊ जैसे प्रदेश की राजधानी के सरकारी स्कूलों में शिक्षक अधिक है और छात्र कम है। जिला मुख्यालयों में भी स्थिति कुछ इसी तरह की है। मगर गांवों में एक एक शिक्षक से स्कूल चल रहे है। इस वर्ष हम इस स्थिति को खत्म कर रहे है। साथ ही शिक्षकों के ट्रांसफर का धंधा भी खत्म हो जाएगा। ग्रामीण, अर्थशहरी और शहरी इलाकों में शिक्षक को 10-10 साल की पोस्टिंग मिलेगी।
उन्होंने यह भी बताया कि इस फार्मूले पर काम शुरू कर दिया गया है।इस तैनाती के दौरान शिक्षक अपनी जरूरत के आधार पर ट्रांसफर के लिए आवेदन कर सकते है।
मोदी सरकार इसी प्रकार शीर्ष अफसरों का बार बार स्थानांतरण के पक्ष में नहीं है। सरकारी विभगों के बड़े अधिकारियों के तबादले के मौजूदा नियमों में जल्दी ही अहम बदलाव किया जाएगा।
विभिन्न मंत्रालयों में काम करने वाले संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को एक निश्चित अवधि मिलेगी ताकि वह अपनी जिम्मेदारियों को एक सही अंजाम तक पहुंचा सके।हाल के महीनों में विदेश यात्रा पर गए शीर्ष मंत्रियों से कई विदेशी निवेशकों ने ऐसे बदलावों पर चिंता जताई। इसके बाद ही यह मन बनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से ही सचिव स्तर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को विभाग में ज्यादा वक्त देने की आवश्यकता है। विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों को लंबे समय तक एक पद पर बने रहने के लिए कदम उठाए गए है। हाल के दिनों में कई सचिवों को इसके तहत या तो दीर्घावधि की जिम्मेदारी सौंपी गई है या फिर उनके कार्यकाल को बढ़ाया गया है।सरकार चाहती है कि किसी संवेदनशील परियोजना से जुड़े अधिकारी को ज्यादा समय तक काम करने का मौका दिया जाए।
कालाधन और आतंकवादियों को धन उपलब्ध कराने पर रोक संबंधी एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत का पक्ष कमजोर पड़ गया । जिस अधिकारी को वहां भेजा गया था वह भारत की स्थिति को मजबूती से नहीं रख पाया। बाद में पता चला कि इस मामले को लंबे समय से देख रहे अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए और उनकी जगह इस विषय का ज्ञान नहीं रखने वाले अधिकारी को भेजा दिया गया। नया नियम निवेश, कराधान, कालाधन और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों से जुड़े अहम अधिकारियों को लंबे समय तक काम करने का मौका देगा।