नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के नोटबंदी के फैसले पर मंगलवार को रोक लगाने से इंकार करते हुए आम जनता को हो रही परेशानियों को लेकर केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे उपायों की जानकारी देश की शीर्ष अदालत ने मांगी है. प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘हम इस पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगायेंगे.’ पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब कुछ वकीलों ने सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने का अनुरोध किया.
अदालत ने रिजर्व बैंक से मांगा जवाब
एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह अधिसूचना पर रोक लगाने का अनुरोध नहीं कर रहे है. परंतु वह चाहते हैं कि सरकार आम जनता को हो रही असुविधाओं को दूर करने के बारे में स्थिति स्पष्ट करे. पीठ ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जनता को हो रही असुविधाओं को न्यूनतम करने के लिये अब तक किये गये उपायों और भविष्य में उठाये जाने वाले कदमों के बारे में हलफनामा दाखिल किया जाये.
अगली सुनवाई 25 को
न्यायालय ने केन्द्र और रिजर्व बैंक को नोटिस जारी किये बगैर ही इस मामले को 25 नवंबर को आगे सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया.
इस तरह की याचिकाओं की संभावना को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. केंद्र ने एक कैवियट दाखिल कर कहा कि कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से पहले अदालत सरकार का पक्ष भी सुने.
8 नवंबर को लिया गया था नोट बंदी का फैसला
उल् लेख नीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और एक हजार के नोटों को बंद करने का फैसला किया था. सरकार के इस फैसले के बाद से देशभर में उथल-पुथल का माहौल है. पिछले सात दिनों से बैंकों और तमाम एटीएम के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं. कुछ लोग मोदी सरकार के इस फैसले की सराहना कर रहे हैं तो कुछ लोग इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. फैसले के बाद से अबतक देश के अलग-अलग इलाकों से कई लोगों की मौत की खबरें भी आई हैं.