देहरादून: NGO और वेलफेयर ट्रस्ट में काला धन खपाने वालों पर आयकर विभाग की पैनी नज़र है। नोट बंदी के बाद कुमाऊं में ट्रस्ट और NGO के खातों में अचानक जमा धनराशि बढ़ गई है। माना यही जा रहा है कि ब्लैक मनी के धन कुबेर अपना काला धन खपाने के लिए ट्रस्ट और NGO का सहारा ले रहे हैं। आयकर विभाग ने सभी ट्रस्ट और एनजीओ के खातों को स्कैन करना शुरू कर दिया है।
आयकर विभाग के मुताबिक ट्रस्ट और एनजीओ भले ही टैक्स फ्री हैं, लेकिन आमदनी का स्रोत दर्शाना ज़रूरी है। आठ नवंबर के बाद से एनजीओ और ट्रस्ट के बैंक खातों की स्कैनिंग शुरू कर दी है। जिन खातों में अचानक कैश जमा हुआ है उनसे पूछताछ की जाएगी और कैश कहां से आया जवाब देना होगा।
गुप्त लेन देन अपराध है
दरअसल यदि कोई ट्रस्ट और NGO जवाब नहीं दे पाया तो उसकी आयकर छूट खत्म करने के साथ जमा धनराशि पर टैक्स और जुर्माना लगाया जाएगा। अगर ट्रस्ट और एनजीओ गुप्त दान की बात करता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। गुप्त दान लेना और देना अपराध है। अगर कोई दान देता है तो ट्रस्ट और एनजीओ को उसका नाम और पता दर्ज करना अनिवार्य है। बता दें कि कुमाऊं में हज़ारों NGO पंजीकृत हैं। आयकर अधिनियम की धारा 12 ए के तहत एनजीओ टैक्स मुक्त हैं। NGO के पास आयकर विभाग से जारी सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है। इसी तरह धार्मिक, एजूकेशनल, वेलफेयर समेत तमाम ट्रस्ट की आय टैक्स फ्री है।
नोटबंदी के बाद सरकार की अगली रणनीति का खुलासा
दरअसल नोटबंदी के बाद अब सरकार का अगला प्लान तैयार हो गया है पहले सरकार उन ग़ैरसरकारी संगठन और ट्रस्ट में जमा राशि को लेकर सचेत हो गई है जिनका टैक्स फ्री है। सरकार एक के बाद एक प्लान तैयार कर रही है, जिसमें अगली बारी बेनाम प्रापर्टी और गोल्ड की बारी है। ब्लैक मनी से निजाद पाने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है जिसके तहत् देश में कालेधन पर रोक की बात की जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक़ अगर सरकार अपने 500-1000 के नोट बैन में अगर सही तरीके से क़ामयाब हो गई तो सरकार के पास दिसंबर के अंत तक 5 से 7 लाख करोड़ बैंकों के पास आने की बात की जा रही है। अगर ऐसा संभव हुआ तो देश पर जितना भी वित्तीय बोझ है वो झटके में सरप्लस में तब्दील हो जाएगा। यानी हानि झटके में मुनाफ़े में बदल जाएगी। इसी रणनीति के तहत सरकार आने वाले वक़्त में भारत को आगे ले जाने की बात कर रही है।