नई दिल्ली : यूपी में कांग्रेस पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे नेताओं में पीएम मोदी की नोटबंदी की पहल से उत्साह कम होता नजर आ रहा है. दरअसल कांग्रेस चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव, दोनों ही चुनाव में अपने प्रत्याशियों पर मोटी रकम चुनाव लड़ने पर खर्च करती है. लेकिन इस बार प्रत्याशियों को ये डर सता रहा है कि कहीं उन्हें पार्टी से मिलने वाली रकम पर हाईकमान की कैंची न चल जाये.
कांग्रेस ख़र्च करती है प्रत्याशियों पर मोटी रकम
गौरतलब है कि कांग्रेस अपने प्रत्याशियों पर हमेशा से ही चुनाव लड़ाती रही है. और यही नहीं वह अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए उन पर मोटी रकम भी व्यय करती रही है. इतना ही नहीं पिछले 27 सालों से यूपी की सत्ता से विहीन होने के बावजूद नेता कांग्रेस से चुनाव लड़ने के लिए लालायित रहते हैं. पार्टी के एक बड़े नेता का यह मानना है कि देश में हुई नोटबंदी को लेकर प्रत्याशियों में उत्साह कम होता दिखाई दे रहा है.
नोटबंदी को लेकर मचा हड़कंप
इसी तरह पार्टी के एक अन्य नेता का कहना है कि कांग्रेस पिछले 27 सालों से अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए बड़ी रकम देती रही है. जिसके चलते कुछ प्रत्याशी तो इसीलिए कांग्रेस से चुनाव लड़ने का प्रयास करते रहे हैं. लेकिन 8 नवंबर को हुई 500 और 1000 रुपये की करेंसी बन्द होने के बाद से कांग्रेस पार्टी के बनाये गए उम्मीदवारों में उत्साह कम होते दिख रहा है.
कांग्रेस प्रत्याशियों में रोष व्यक्त
दरअसल पीएम मोदी की कालेधन पर की गयी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से लोगों के बैंक अकॉउंट में जमा धनराशि निकालनी ही मुश्किल नहीं हो रही है बल्कि ढाई लाख से अधिक रकम अकॉउंट में जमा करने के बाद से आयकर अधिकारी खाताधारी को नोटिस देकर उससे जमा रकम की पूछताछ कर रहे हैं. जिसके चलते जब आम आदमी परेशान है तो नेताओं के कहते में अगर पार्टी कोई बड़ी रकम दे भी देती है तो वह भी जाँच के घेरे में आ जाएगी. इसलिए प्रत्याशियों को यह भय सता रहा है कि कहीं पार्टी उनको देने वाले फंड में इस नोटबंदी को लेकर कहीं रकम पर कैंची न चला दे, जिसको लेकर पार्टी के प्रत्याशियों में खास रोष व्यक्त है.