तिरुवनंतपुरम : वामपंथियों की सत्ता वाले केरल में नोटबंदी का बड़ा व्यापक असर हुआ। इस असर से केरल में बेहद सक्रिय रहने वाला संघ परिवार भी अछूता नही रहा। केरल में आरएसएस और वामपंथियों के बीच की हिंसक झड़पें कई दशक से थमी नही हैं लेकिन मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले ने एक चार दशक पुराने संघ कार्यकर्ता को वामपंथी बना दिया। संघ परिवार से जुड़े कार्यकर्ता पी पद्मकुमार संघ के संगठन हिंदू एक्या वेदी में बतौर सचिव काम कर रहे थे।
ख़बरों के अनुसार नोटबंदी के फैसले के ‘अमानवीय स्टैंड’ को लेकर उन्होंने मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी से जुड़ने का फैसला किया। मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के जिला सचिव के साथ मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि,” बीजेपी और संघ के इस अमानवीय स्टैंड के चलते कितने परिवार अनाथ हो गए। मैं संघी के राजनितिक हिंसा को लेकर अमानवीय रवैए और 1000 और 500 रुपए के नोट बंदी को फैसले के विरोध स्वरूप मैंने संघ परिवार से बाहर आने का निर्णय लिया।
गौरतलब है कि केरल में नोटबंदी के बाद किसानों को हुई परेशानी और कोआॅपरेटिव बैंकों पर आये संकट ने केरल में काफी चर्चा बटोरी थी। इसके लिए केरल विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया गया था। जहाँ प्रस्ताव पारित कर केंद्र से कोआॅपरेटिव को पुराने नोट बदलने और वाणिज्यिक बैकों की तरह जमा स्वीकार करने की अनुमति देने को कहा गया था। हालांकि सरकार ने इसे मानने से साफ मना भी कर दिया।