नई दिल्ली: रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल को कांग्रेस सदस्यों के नेतृत्व वाली दो संसदीय समितियों ने तलब किया। समितियों ने पटेल को 8 नवंबर से शुरू किए गए ‘विमुद्रीकरण के प्रभाव' और ‘मौद्रिक नीति’ का आकलन करने के लिए बुलाया है। दरअसल संसद में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध के चलते इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो पा रही है। जिसके चलते बुधवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली की अगुवाई वाली स्टैंडिंग कमेटी ने पटेल को विमुद्रीकरण के फैसले के प्रभाव का आकलन करने के लिए तलब करने का फ़ैसला किया था। जिसके एक दिन बाद केवी थॉमस के नेतृत्व वाली लोक लेख ा समिति ने भी आरबीआई गवर्नर, वित्त मामलों के विभाग के सचिव शक्तिकांत दास और वित्तीय सेवाओं के सचिव अंजुलि चिब दुग्गल को 2 जनवरी को चर्चा के लिए बुलाया है।
दरअसल केवी थॉमस ने बैठक के बाद बताया, ‘पीएसी की बैठक में आज हमने सर्वसम्मति से यह फ़ैसला किया है कि जनवरी के पहले या फिर दूसरे सप्ताह में हम रिजर्व बैंक गवर्नर, आर्थिक मामलों के सचिव और वित्त सचिव को नोटबंदी के बाद आर्थिक स्थिति की समीक्षा करने के लिये अपने समक्ष बुलायेंगे।’ उन्होंने कहा कि इसके लिये तिथि रिजर्व बैंक गवर्नर की उपलब्धता को देखते हुये तय की जायेगी। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रही है। पहली तिमाही में यह 7.1 प्रतिशत रही थी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले सप्ताह राज्यसभा में सरकार के नोटबंदी के कदम को प्रबंधन की बड़ी विफलता करार देते हुये कहा कि इससे जीडीपी वृद्धि में दो प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
8 नवंबर को पुराने नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई। अनुमानों के मुताबिक़ नोटबंदी की वजह से चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर कम रह सकती है। हालांकि, विभिन्न अनुमानों में वृद्धि दर 0.5 से लेकर 2 प्रतिशत तक कम रहने की बात कही गई है। जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी होने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने कल कहा, ‘हमारे पास पहली छमाही के वास्तविक आंकड़े अब उपलब्ध हैं। इनसे अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के मजबूत होने का पता चलता है। पर दूसरी छमाही के लिये हमें इंतज़ार करना होगा, इस मामले में अभी काफी अनिश्चितता है। इस पर कुछ भी कहने से पहले इसकी समीक्षा आवश्यक है इसके बिना कुछ भी नहीं कहा जा सकता।'