पुस्तक देती हम सबको ज्ञान
होती है यह बहुत महान
जो भी इनको ध्यान से पढ़ता
बढ़ जाता है उसका ज्ञान।
किताब बताती सही रास्ता
होती है यह गुरु समान
जो भी इससे सीख है लेता
हो जाती मंजिल आसान।
कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है
जिसका यह न देती हो ज्ञान
कोई ऐसी नहीं समस्या
इसमें मिलता न हो समाधान।
करती नहीं यह भेदभाव है
सबको देती ज्ञान समान
जिसका जितना बड़ा पात्र है
दे देती है उतना ज्ञान।
जो भी इनको खूब है पढ़ता
बन जाता है वह विद्वान
जीवन के हर क्षेत्र में बढ़ता
और पाता सामाजिक सम्मान।
गुरुओं की भी यही गुरु है
गुरु देता अपने शिष्य को ज्ञान
पुस्तक तो अवलोकित करती
सारे विश्व को एक समान।
© डॉ प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर,मध्य प्रदेश, 🇮🇳