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पुस्तक होती गुरु समान

20 अगस्त 2024

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पुस्तक देती हम सबको ज्ञान 
होती है यह बहुत महान 
जो भी इनको ध्यान से पढ़ता 
बढ़ जाता है उसका ज्ञान।

किताब बताती सही रास्ता 
होती है यह गुरु समान 
जो भी इससे सीख है लेता 
हो जाती मंजिल आसान। 

कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है 
जिसका यह न देती हो ज्ञान 
कोई ऐसी नहीं समस्या 
इसमें मिलता न हो समाधान।

करती नहीं यह भेदभाव है
सबको देती ज्ञान समान 
जिसका जितना बड़ा पात्र है 
दे देती है उतना ज्ञान। 

जो भी इनको खूब है पढ़ता
बन जाता है वह विद्वान 
जीवन के हर क्षेत्र में बढ़ता 
और पाता सामाजिक सम्मान।

गुरुओं की भी यही गुरु है 
गुरु देता अपने शिष्य को ज्ञान 
पुस्तक तो अवलोकित करती 
सारे विश्व को एक समान।

     © डॉ प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
        ग्वालियर,मध्य प्रदेश, 🇮🇳
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रचनाएँ
मेरे एहसास
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इस किताब में मैने अपने अंदर के एहसासों को कविताओं के रूप में ढाला है।
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शाश्वत प्रेम

20 अगस्त 2024
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मतलबी दुनिया

29 अगस्त 2024
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1 सितम्बर 2024
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पानी का मोल

11 सितम्बर 2024
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बिन पानी क्या खेत-खलिहानबिन पानी नहीं गुल्म में जान बिन पानी क्या कश्ती का मान बिन पानी सब वृथा समान।बिन पानी क्या पोखर-तालबिन पानी क्या नदियों का हाल बिन पानी संकट विकरालबिन पानी जीवन

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बंदिशें

13 अक्टूबर 2024
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आप बिछा के जाल कुछ चिड़ियों को फंसा सकते हो, मगर परिंदों को मुक्त गगन में उड़ान भरने से नहीं रोक सकते।बंद कर तोते को पिंजरे में अपनी बोली बुलवा सकते हो,मगर पक्षियों के चहचहाने पर शर्त नहीं लगा सक

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