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शाश्वत प्रेम

20 अगस्त 2024

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प्रेम बिना जीवन नहीं प्यारा
प्रेम बिना तरुवर दुखियारा 
प्रेम बिना नहीं कहीं उजियारा 
प्रेम बिना मन में अंधियारा। 

प्रेम बिना नहीं जीव उत्पत्ति 
प्रेम बिना चहुं ओर विपत्ति 
प्रेम बिना मन होय विरक्ति
प्रेम बिना निर्मूल संपत्ति।

प्रेम बिना नहीं कोई आसक्ति
प्रेम बिना नहीं कोई निष्पत्ति 
प्रेम बिना हर जीव बेचारा 
प्रेम बिना नहीं कोई व्युत्पत्ति।

प्रेम बिना बंजर जग सारा 
प्रेम बिना सागर जल खारा 
प्रेम बिना महके नहीं मधुवन 
प्रेम बिना बरसे नहीं धारा।

प्रेम बिना नहीं हर्षित कोई
प्रेम बिना भक्ति नहीं होई 
प्रेम बिना न पुलकित कोई
प्रेम बिना रिश्ता नहीं कोई।

प्रेम बिना नहीं जीवन सार 
प्रेम बिना जीवन बेकार 
प्रेम है जीवन का आधार 
प्रेम बिना सूना संसार।

       © डॉ प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
          ग्वालियर,(म.प्र.)🇮🇳
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रचनाएँ
मेरे एहसास
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इस किताब में मैने अपने अंदर के एहसासों को कविताओं के रूप में ढाला है।
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शाश्वत प्रेम

20 अगस्त 2024
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प्रेम बिना जीवन नहीं प्याराप्रेम बिना तरुवर दुखियारा प्रेम बिना नहीं कहीं उजियारा प्रेम बिना मन में अंधियारा। प्रेम बिना नहीं जीव उत्पत्ति प्रेम बिना चहुं ओर विपत्ति प्रेम बिन

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पुस्तक होती गुरु समान

20 अगस्त 2024
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पुस्तक देती हम सबको ज्ञान होती है यह बहुत महान जो भी इनको ध्यान से पढ़ता बढ़ जाता है उसका ज्ञान।किताब बताती सही रास्ता होती है यह गुरु समान जो भी इससे सीख है लेता हो जाती

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मतलबी दुनिया

29 अगस्त 2024
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रोज दो चार अंडे देने तकखिलाया जाता है दानाऔर पिलाया जाता है पानीउसके बाद उदर में समा जाती हैं मुर्गियां।देती हैं दूध जब तकमिलता है हरा चाराऔर रोज की जाती है सानी फिर सड़क पर भटकने छोड़ दी जाती है

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महान चित्रकार

1 सितम्बर 2024
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यह कौन चित्रकार है आयाजिसने नभ पर चित्र बनायापूरब से पश्चिम तक देखोइंद्रधनुष है नभ पर छाया।नभ में भूरे-काले बादल लेकरकभी वह हाथी का चित्र बनाताकभी चूहा सरपट दौड़ाता तो कभी शेर है दहाड़ लगाता।इस न

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पानी का मोल

11 सितम्बर 2024
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बिन पानी क्या खेत-खलिहानबिन पानी नहीं गुल्म में जान बिन पानी क्या कश्ती का मान बिन पानी सब वृथा समान।बिन पानी क्या पोखर-तालबिन पानी क्या नदियों का हाल बिन पानी संकट विकरालबिन पानी जीवन

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