प्रेम बिना जीवन नहीं प्यारा
प्रेम बिना तरुवर दुखियारा
प्रेम बिना नहीं कहीं उजियारा
प्रेम बिना मन में अंधियारा।
प्रेम बिना नहीं जीव उत्पत्ति
प्रेम बिना चहुं ओर विपत्ति
प्रेम बिना मन होय विरक्ति
प्रेम बिना निर्मूल संपत्ति।
प्रेम बिना नहीं कोई आसक्ति
प्रेम बिना नहीं कोई निष्पत्ति
प्रेम बिना हर जीव बेचारा
प्रेम बिना नहीं कोई व्युत्पत्ति।
प्रेम बिना बंजर जग सारा
प्रेम बिना सागर जल खारा
प्रेम बिना महके नहीं मधुवन
प्रेम बिना बरसे नहीं धारा।
प्रेम बिना नहीं हर्षित कोई
प्रेम बिना भक्ति नहीं होई
प्रेम बिना न पुलकित कोई
प्रेम बिना रिश्ता नहीं कोई।
प्रेम बिना नहीं जीवन सार
प्रेम बिना जीवन बेकार
प्रेम है जीवन का आधार
प्रेम बिना सूना संसार।
© डॉ प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर,(म.प्र.)🇮🇳