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मतलबी दुनिया

29 अगस्त 2024

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रोज दो चार अंडे देने तक
खिलाया जाता है दाना
और पिलाया जाता है पानी
उसके बाद उदर में समा जाती हैं मुर्गियां।

देती हैं दूध जब तक
मिलता है हरा चारा
और रोज की जाती है सानी 
फिर सड़क पर भटकने छोड़ दी जाती हैं गइयां।

बकरी के छोटे बच्चे करते हैं उछल कूद
रात में ऊपर ढक दी जाती हैं झबइयां 
बड़े होने पर चंद पैसों की खातिर
बाजार में कुर्बान हो जाती हैं बकरियां।

वह बहुत मेहनत करती हैं
और एकत्रित करती हैं मधु
परंतु शहद के लालच में
उड़ा दी जाती हैं मधुमक्खियां।

मन को करते हैं आकर्षित
ऊपर उड़ती है तितलियां
परंतु फूल चुनने के बाद
उजाड़ दी जाती है क्यारियां।

रात के घुप्प अंधेरे में
जिनसे रोशन होता है मकान
तो सुबह पौ फटते ही 
बंद कर दी जाती हैं वही बत्तियां।


इस मतलबी दुनिया में तब तक पूछे जाते हैं इंसान
जब तक आते हैं वो काम
नहीं तो चिरागों के रोशन होते ही 
बुझा दी जाती हैं माचिस की तीलियां।

    ©डॉ प्रदीप त्रिपाठी "दीप" 
      ग्वालियर,मध्य प्रदेश 🇮🇳
मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने 👌👌 आप मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏🙏🙏🙏

30 अगस्त 2024

Dr. Pradeep Tripathi

Dr. Pradeep Tripathi

30 अगस्त 2024

आपका हार्दिक आभार महोदया।

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रचनाएँ
मेरे एहसास
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इस किताब में मैने अपने अंदर के एहसासों को कविताओं के रूप में ढाला है।
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शाश्वत प्रेम

20 अगस्त 2024
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प्रेम बिना जीवन नहीं प्याराप्रेम बिना तरुवर दुखियारा प्रेम बिना नहीं कहीं उजियारा प्रेम बिना मन में अंधियारा। प्रेम बिना नहीं जीव उत्पत्ति प्रेम बिना चहुं ओर विपत्ति प्रेम बिन

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पुस्तक होती गुरु समान

20 अगस्त 2024
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पुस्तक देती हम सबको ज्ञान होती है यह बहुत महान जो भी इनको ध्यान से पढ़ता बढ़ जाता है उसका ज्ञान।किताब बताती सही रास्ता होती है यह गुरु समान जो भी इससे सीख है लेता हो जाती

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29 अगस्त 2024
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1 सितम्बर 2024
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11 सितम्बर 2024
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बिन पानी क्या खेत-खलिहानबिन पानी नहीं गुल्म में जान बिन पानी क्या कश्ती का मान बिन पानी सब वृथा समान।बिन पानी क्या पोखर-तालबिन पानी क्या नदियों का हाल बिन पानी संकट विकरालबिन पानी जीवन

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13 अक्टूबर 2024
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आप बिछा के जाल कुछ चिड़ियों को फंसा सकते हो, मगर परिंदों को मुक्त गगन में उड़ान भरने से नहीं रोक सकते।बंद कर तोते को पिंजरे में अपनी बोली बुलवा सकते हो,मगर पक्षियों के चहचहाने पर शर्त नहीं लगा सक

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