यह कौन चित्रकार है आया
जिसने नभ पर चित्र बनाया
पूरब से पश्चिम तक देखो
इंद्रधनुष है नभ पर छाया।
नभ में भूरे-काले बादल लेकर
कभी वह हाथी का चित्र बनाता
कभी चूहा सरपट दौड़ाता
तो कभी शेर है दहाड़ लगाता।
इस नीले अंबर पर वह तो
कभी सूर्य का चित्र बनाता
कभी घुप्प अंधेरा है छाता
तो कभी चांद की कला दिखाता।
कभी तो तारे टिमटिम करते
स्याह अंधेरे में प्रकाश हैं भरते
कभी सप्त ऋषि वो बनाता
तो कभी ध्रुवतारा चमकाता।
नदियां पर्वत समुद्र बनाता
हरा रंग पेड़ों पर छाता
रंग-बिरंगे फूल खिलाकर
चला रहा कूंची रंग भर कर।
चित्रकार वह बड़ा महान
कूंची से लिखता विधि-विधान
कर पशु पक्षी मानव निर्माण
फिर उसमें उसने डाली जान l
© डॉ प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर,मध्य प्रदेश 🇮🇳