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महान चित्रकार

1 सितम्बर 2024

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यह कौन चित्रकार है आया
जिसने नभ पर चित्र बनाया
पूरब से पश्चिम तक देखो
इंद्रधनुष है नभ पर छाया।

नभ में भूरे-काले बादल लेकर
कभी वह हाथी का चित्र बनाता
कभी चूहा सरपट दौड़ाता 
तो कभी शेर है दहाड़ लगाता।

इस नीले अंबर पर वह तो
कभी सूर्य का चित्र बनाता
कभी घुप्प अंधेरा है छाता
तो कभी चांद की कला दिखाता।

कभी तो तारे टिमटिम करते
स्याह अंधेरे में प्रकाश हैं भरते
कभी सप्त ऋषि वो बनाता
तो कभी ध्रुवतारा चमकाता।

नदियां पर्वत समुद्र बनाता
हरा रंग पेड़ों पर छाता
रंग-बिरंगे फूल खिलाकर
चला रहा कूंची रंग भर कर।

चित्रकार वह बड़ा महान
कूंची से लिखता विधि-विधान
कर पशु पक्षी मानव निर्माण
फिर उसमें उसने डाली जान l

      © डॉ प्रदीप त्रिपाठी "दीप" 
         ग्वालियर,मध्य प्रदेश 🇮🇳
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रचनाएँ
मेरे एहसास
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इस किताब में मैने अपने अंदर के एहसासों को कविताओं के रूप में ढाला है।
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शाश्वत प्रेम

20 अगस्त 2024
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प्रेम बिना जीवन नहीं प्याराप्रेम बिना तरुवर दुखियारा प्रेम बिना नहीं कहीं उजियारा प्रेम बिना मन में अंधियारा। प्रेम बिना नहीं जीव उत्पत्ति प्रेम बिना चहुं ओर विपत्ति प्रेम बिन

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पुस्तक होती गुरु समान

20 अगस्त 2024
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पुस्तक देती हम सबको ज्ञान होती है यह बहुत महान जो भी इनको ध्यान से पढ़ता बढ़ जाता है उसका ज्ञान।किताब बताती सही रास्ता होती है यह गुरु समान जो भी इससे सीख है लेता हो जाती

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मतलबी दुनिया

29 अगस्त 2024
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रोज दो चार अंडे देने तकखिलाया जाता है दानाऔर पिलाया जाता है पानीउसके बाद उदर में समा जाती हैं मुर्गियां।देती हैं दूध जब तकमिलता है हरा चाराऔर रोज की जाती है सानी फिर सड़क पर भटकने छोड़ दी जाती है

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महान चित्रकार

1 सितम्बर 2024
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यह कौन चित्रकार है आयाजिसने नभ पर चित्र बनायापूरब से पश्चिम तक देखोइंद्रधनुष है नभ पर छाया।नभ में भूरे-काले बादल लेकरकभी वह हाथी का चित्र बनाताकभी चूहा सरपट दौड़ाता तो कभी शेर है दहाड़ लगाता।इस न

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पानी का मोल

11 सितम्बर 2024
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बिन पानी क्या खेत-खलिहानबिन पानी नहीं गुल्म में जान बिन पानी क्या कश्ती का मान बिन पानी सब वृथा समान।बिन पानी क्या पोखर-तालबिन पानी क्या नदियों का हाल बिन पानी संकट विकरालबिन पानी जीवन

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