नई दिल्लीः जिस तकनीक की मदद से अमेरिकी सेना ने दो मई 2011 को पाकिस्तान के एबटाबाद में छुपे ओसामा को मार गिराया, उसी तकनीक का इस्तेमाल भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक में की। उस समय सात समंदर पार व्हाइट हाउस में बैठकर अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा आतंक के आका ओसामा की मौत का लाइव देख रहे थे, ठीक उसी तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 27 सितंबर की रात अपने सात लोककल्याण मार्ग स्थित आवास पर बैठे-बैठे पीओके में सेना की सर्जिकल स्ट्राइक की लाइव तस्वीरें स्क्रीन पर देख रहे थे। सेना के स्पेशल कमांडों किस तरह से आतंकियों को ढेर कर रहे थे सब कुछ मोदी ने डोभाल और तीनों सेना प्रमुखों संग लाइव देखा। यह कमाल किया कमांडोज के हेलमेट में लगे हाईटेक कैमरों ने। इन कैमरों से जहां वाररूम सहित पीएम तक को लाइव तस्वीरें देखने को मिलीं वहीं जवानों को कंट्रोल रूम से दिशानिर्देश भी मिलता रहा। खैर जब आपरेशन ओवर हुआ तब जाकर मोदी ने चैन की सांस ली। दरअसल मोदी ने ओसामा बिन लादेन के लिए जिस तरीके का इस्तेमाल अमेरिका ने किया था, वही तरीका सर्जिकल स्ट्राइक के लिए अपनाने का सेना के अफसरों को निर्देश दिया था। पूरी प्लानिंग राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर डोभाल ने सेना प्रमुख और एनटीआरओ तथा एविएशन रिसर्च सेंटर के अफसरों संग मिलकर तैयार की।
सेना प्रमुखों को बिना वर्दी और प्राइवेट कार में बुलाया
सर्जिकल स्ट्राइक की गोपनीयता पर जरा भी आंच न आए, इसके लिए एनएसए अजित डोभाल ने बहुत सावधानी बरती। तीनों सेना के प्रमुखों सहित अन्य सभी वरिष्ठ अफसरों को बिना वर्दी और प्राइवेट कार में आने को कहा गया। फिर पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति बनी।
नाइट विजन डिवाइस लगे हेलमेट दिए गए कमांडोज को
सर्जिकल स्ट्राइक के दस्ते में उन्हीं कमांडोज को रखा गया, जिनके साथी उड़ी हमले में मारे गए थे। ताकि इनका आक्रोश मिशन की सफलता में सहायक सिद्ध हो। इन कमांडोज को बेस्ट गैजेट, अत्याधुनिक हथियार और हाईटेक वर्दी सौंपी गई। मगर सारा कमाल हेलमेट का रहा। ऐसा हेलमेट दिया गया, जो कि मानो एक दिमाग की तरह काम करने वाला है। यह हेलमेट पूरे आपरेशन में गाइड की भूमिका निभाता रहा। दरअसल वीडियो लिंक सुविधा वाले इस हेलमेट में नाइट विजन डिवाइस लगी रही। जो कि इंफ्रा रेड टेक्नॉलजी के आधार पर काम करती है। हेलमेट से जीपीएस भी जुड़ा रहा। इस हेलमेट से सेटेलाइट और फिर उसके थ्रू दिल्ली स्थित एविएशन रिसर्च सेंटर(एआरसी) में सारी तस्वीरें पहुंचती रहीं। नाइट विजन डिवाइस से रात की तस्वीरें भी आसानी से हासिल होती रहीं।
सुबूत सार्वजनिक करने पर हो रही चर्चा
सूत्र बता रहे हैं कि सेटेलाइट के जरिए सर्जिकल स्ट्राइक की जो तस्वीरें और वीडियो एविएशन रिसर्च सेंटर ने एकत्र की हैं, फिलहाल अभी वह पीएम मोदी, डोभाल और सेना प्रमुख के पास ही है। तस्वीरों का अध्ययन कर पूरे आपरेशन की सफलता के कारणों का प्वाइंट तैयार हो रहा। ताकि उन्हीं के आधार पर फिर रणनीति बनाई जाए। जैसा कि पाकिस्तान सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सुबूत मांग रहा है, देश में भी एक तबका ऐसी मांग उठा रहा है। ऐसे में जल्द ही इन वीडियोज और तस्वीरों को सार्वजनिक किया जा सकता है।
एनटीआरओ से दिया जाता रहा कमांडों को निर्देश
सर्जिकल स्ट्राइक के लाइव प्रसारण का पूरा ताना बाना दिल्ली स्थित नेशनल टेक्निकल रिसर्च आर्गनाइजेशन(एनटीआरओ) ने बुना था। एनटीआरओ ने सेटेलाइट के जरिए टारगेट तक मानीटरिंग का पूरा प्रोग्राम विकसित किया था। इसके जरिए आपरेशन में लगे कमांडोज को आसपास के कैंप आदि को तबाह करने से जुड़े निर्देश के साथ टारगेट की दिशा बताया जाता रहा। बता दें कि एनटीआरओ की स्थापना 2004 में हुई। यह इंटेलीजेंस एजेंसी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों पर प्रधानमंत्री को सलाह देने का काम करती है।
सर्जिकल स्ट्राइक एक नजर में
18 सितंबर-पीएम मोदी ने अजित डोभाल से उड़ी अटैके का बदला लेने के लिए एक्शन प्लान तैयार करने को कहा।
21 सितंबर-उड़ी में दो गाइड पकड़े गए, जिन्होंने आर्मी कैंप हमले में मदद की थी। पाकिस्तान को सुबूत दिया गया। उधर शरीफ ने यूएन में कश्मीर का राग अलापा
22 सितंबर-सेना के डीजीएमओ ने पीएम मोदी, रक्षामंत्री, एनएसए, आर्मी चीफ को एसओसी पार जाकर आतंकियों को मारने का प्लान बताया। इसके बाद नार्दर्न आर्मी कमांडर ने सर्जिकल स्ट्राइक के लिए एक, तीन और चार नंबर की पैराशूट बटालियन तैयार की।
23 सितंबर-पीएम मोदी की रक्षामंत्री और डोभाल से बातचीत हुई। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का निर्देश दे दिया।
24 सितंबर-मोदी ने केरल के कोझिकोड रैली में कहा कि वे उड़ी हमले को भूले नहीं है।
26 सितंबर-डोभाल ने तीनों सेना प्रमुख, विदेश सचिव, दो खुफिया एजेंसी प्रमुख, एनटीआरओ चीफ और डीजीएमओ को बिना किसी वर्दी और प्राइवेट कार में बुलाकर पूरे आपरेशन का खाका तैयार किया। उन्हें मोबाइल भी लाने से मना कर दिया गया।
27 सितंबर
ऑपरेशन से पहले एहतियातन रात दस बजे के करीब पंजाब और जम्मू-कश्मीर सीमा के गांवों को खाली करा लिया गया। फिर 11 बजे से कमांडोज की टीम ने सर्जिकल स्ट्राइक शुरू कर दी। स्निफर राइफल्स की इसमें सहायता ली गई।
28 सितंबर
पीओके में घुसकर आतंकियों को मारने के सफल ऑपरेशन के बाद सभी कमांडोज की टीम सुबह नौ बजे बेस कैंप पर वापस लौट आई। वहीं इससे पहले सुबह साढ़े सात बजे तक डोभाल ने पूरी अपडेट मोदी को मुहैया करा दी थी। इसके बाद डीजीएमओ ने पाकिस्तान को फोन कर इस सर्जिकल आपरेशन की जानकारी दी। दोपहर साढ़े बारह बजे डीजीएमओ रणबीर सिंह ने प्रेस को संबोधित कर इस सर्जिकल आपरेशन के बारे में जानकारी दी।