नई दिल्लीः आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में पहले जहां दो से तीन करोड़ रुपये हर दिन चढ़ावा चढ़ता था, अब नोटबंदी के बाद छप्पर फाड़कर पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों की बारिश हो रही है। मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि अब दोगुनी संख्या में करीब चार से छह करोड़ के बीच डेली पुराने नोट दानपात्र में मिल रहे हैं।
मन की मुराद वाले नोट बने मंदिर के लिए मुसीबत
दरअसल एक तो मंदिर को तमाम दानदाता चेक से दान करते हैं। इससे मंदिर प्रशासन को असुविधा नहीं होती। क्योंकि सब कुछ का हिसाब रखना आसान होता है। सबसे ज्यादा दिक्कत दानपात्र में बेनामी दान के कलेक्शन में हो रही है। क्योंकि दानपात्र उन दर्शनार्थियों के लिए रखा जाता है जो कि किसी मनौती के बदले में भगवान के सामने पैसे दान करते हैं। इस पैसे का हिसाब-किताब रखने में दिक्कत हो रही है। क्योंकि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट का कहना है कि पहले कैश कलेक्शन हर दिन औसतन दो से तीन करोड़ रुपये आता था मगर, अब दोगुना हो गया है। चूंकि पुराने नोट बंद हो गए हैं, ऐसे में अब मंदिर प्रशासन के सामने उसे बदलवाने में समस्या खड़ी हो रही है।
मंदिर ने वित्त मंत्रालय से मांगा दिशा-निर्देश
नोटबंदी के बाद छप्पर फाड़कर पैसा बरसने से परेशान तिरुपति मंदिर बाला प्रशासन ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर दिशा निर्देश मांगा है। कहा है कि मंदिर के पास जो पैसा जुट रहा है, आशंका है कि तमाम लोग कालाधन को यहां खपा रहे हैं। ऐसे में मंदिर प्रशासन कैसे इस प्रवृत्ति पर रोकथाम लगाए। वहीं मंदिर प्रशासन कैसे पुराने नोटों को नियम-सम्मत तरीके से पुराने नोटों को नए नोट में बदल सके।