बीमारी के चलते पति की मौत हो गई. पति के अंतिम संस्कार के लिए रीता के पास रुपए नहीं थे तो उसने मजबूरी में तीन बच्चों में से दो साल के सोनू को कोहिमा में दो हजार रुपये पर सूदखोर के यहां गिरवी रख दिया. रिता नागालैंड में कोहिमा की रहने वाली है.
कोहिमा में 40 रुपये रोज कमाने वाली रीता अपने बेटे को सूदखोर के चंगुल से नहीं छुड़ा पा रही थी. क्योंकि वह पर्याप्त पैसे नहीं बचा पा रही थी. पैसे कमाने की मजबूरी में वह जेठ पप्पू और दूसरे लोगों के साथ काम की तलाश में आगरा आ गई. आगरा पहुंचते ही अपनों ने रीता को उसके हाल पर छोड़ दिया. कई दिनों तक रीता दो बच्चों संग यहां-वहां भटकती रही.
जब एक दिन वो अपने बच्चों को नाली का पानी पिला रही थी तो कुछ लोगों की उस पर निगाह पड़ गई. जिसके बाद लोगो ने एक एनजीओ को जानकारी दी एनजीओ ने रीता से मिलकर उसका हाल जाना. उसके लिए खाने-पीने का इंतजाम कराया. कुछ लोगों ने आकर रीता को कुछ रुपए दिए जिससे वह अपने गिरवी रखे बच्चे को सूदखोर से छुड़ा सके.
रीता को ट्रेन का टिकट खरीदकर दिया गया. नरेश ने बताया कि आज शाम तक रीता अपने घर पहुंच जाएगी. कुछ रुपयों के साथ उसे खाने-पीने का समान भी दिया गया है.