नई दिल्ली : गुजरात में बीजेपी की पूर्व महिला एवं बाल कल्याण मंत्री माया कोडनानी ने 2002 में हुए नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह व सात अन्य को अतिरिक्त गवाह के तौर पर बुलाने की मांग थी। अब इस पर गुजरात हाईकोर्ट ने स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम से (एसआईटी) से जवाब माँगा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के मामले में एक एसआईटी बनाई थी।
जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस बीरेन वैष्णव की पीठ ने उक्त याचिका पर विशेष जांच दल (एसआइटी) से उसका रुख पूछा है। इस एसआइटी का गठन गुजरात दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने किया था। जिन सात अन्य लोगों को कोडनानी ने अतिरिक्त गवाह के तौर पर समन करने की मांग की है।
इनमे पूर्व भाजपा विधायक अमरीश पटेल, जगदीश पटेल, लखाभाई राठौड़, धवल शाह, धीरज राठौड़, एमडी लखिया और कांतिभाई सोलंकी शामिल हैं। कोडनानी का कहना है कि अभियोजन पक्ष ने बिना किसी ठोस कारण के इन आठ गवाहों को विशेष एसआइटी अदालत में सुनवाई के दौरान हटा दिया था।
नरोदा पाटिया में हुए नरसंहार में 96 लोग मारे गए थे। विशेष एसआइटी अदालत ने इस मामले में कोडनानी को 28 साल जेल की सजा सुनाई थी। वह फिलहाल जमानत पर हैं।
विशेष एसआइटी अदालत 2002 के ही गुजरात दंगे के एक अन्य नरोदा गाम मामले की भी सुनवाई कर रही है।
इस मामले में भी कोडनानी अभियुक्त के तौर पर शामिल हैं और हाल ही में अदालत ने अमित शाह और 13 अन्य को बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर बुलाने की उनकी याचिका मंजूर कर ली थी। कोडनानी उक्त गवाहों को बुलाकर यह साबित करना चाहती हैं कि वह अपराध स्थल पर मौजूद नहीं थीं।