shabd-logo

पौराणिक

hindi articles, stories and books related to Pauranik


श्रीकृष्ण भगवान द्वारका में रानी सत्यभामा के साथ सिंहासन पर विराजमान थे। निकट ही गरूड़ और सुदर्शन चक्र भी बैठे हुए थे। तीनों के चेहरे पर दिव्य तेज झलक रहा था। बातों ही बातों में रानी सत्यभामा ने श्री

रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल

युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण से चैत्र मास के कृष्णपक्ष की एकादशी के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की तो वे बोले : ‘राजेन्द्र ! मैं तुम्हें इस विषय में एक पापनाशक उपाख्यान सुनाऊँगा, जिसे चक्रवर्

भारतीय संस्कृति में पीपल देववृक्ष है, इसके सात्विक प्रभाव के स्पर्श से अन्त: चेतना पुलकित और प्रफुल्लित होती है। पीपल वृक्ष प्राचीन काल से ही भारतीय जनमानस में विशेष रूप से पूजनीय रहा है। ग्रंथों में

 हिन्दू पौराणिक ग्रंथो में अनेको अनेक श्रापों का वर्णन मिलता है। हर श्राप के पीछे कोई न कोई कथाये जरूर मिलती है। हिन्दू धर्म ग्रंथो में उल्लेखित चौबीस ऐसे ही प्रसिद्ध श्राप और उनके पीछे की कहानी

जब गांधारी के श्राप को सत्य करने का समय आया तो श्रीकृष्ण ने अंधक व वृष्णिवंशियों को प्रभास क्षेत्र में आकर रहने के लिए कहा। युद्ध के उपरांत 15 सालों तक हस्तिनापुर में रहने के बाद धृतराष्ट्र व गां

स्कंद महापुराण के काशी खंड में एक कथा वर्णित है कि त्रैलोक्य संचारी महर्षि नारद एक बार महादेव के दर्शन करने के लिए गगन मार्ग से जा रहे थें। मार्ग के बीच में उनकी दृष्टि उत्तुंग विंध्याद्रि पर केंद्रित

रोचक तथ्यहिन्दू धर्म में देवी-देवताओं तथा उनसे जुड़ी कहानियों का इतिहास काफी बड़ा है या यूं कहें कि कभी ना खत्म होने वाला यह इतिहास आज विश्व में अपनी एक अलग ही पहचान बनाए हुए है। विभिन्न देवी-देवताओं का

एक बार की बात है। शाम होने को थी। शीतल मंद-मंद हवा बह रही थी। हनुमान जी रामसेतु के समीप राम जी के ध्यान में मग्न थे। ध्यानविहीन हनुमान को बाह्य जगत की स्मृति भी न थी।उसी समय सूर्य पुत्र शनि समुद्र तट

यह रचना आज से लगभग दो वर्ष पूर्व लिखी थी जब कोरोना महामारी के कारण पहली बार लॉकडाउन लगा था और महाभारत नामक धारावाहिक आया करता था । जब महाभारत समाप्त हुआ तो कुछ खाली सा लगा । उस समय जो विचार उठे उन्हें

महिलाओं में हर महीने मासिक धर्म (रजोदर्शन) क्यों आता है? जबकि गाय, भैंस,बकरी,शेरनी,ऊंटनी, हिरणी में हर महीने मासिक धर्म क्यों नहीं आता? जबकि प्रजनन सभी करते हैं अर्थात सभी बच्चे पैदा करते हैं. मादा पश

राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत पुराण सुनातें हुए जब शुकदेव जी महाराज को छह दिन बीत गए और तक्षक (सर्प) के काटने से राजा परीक्षित की मृत्यु होने का एक दिन शेष रह गया, तब भी राजा परीछित का शोक और मृत्यु क

भगवान की लीलाओं को पढ़ने-सुनने का अभिप्राय यह है कि उनकी भक्ति हमारे हृदय में आये । जैसे सुगंधित चीज को नाक से सूंघने पर, स्वादिष्ट चीज को जीभ से चखने पर और सुंदर चीज को आंखों से देखने पर उससे अपने-आप

 जब-जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है तो भगवान अवतार लेकर उस संकट को दूर करते हैं। भगवान शिव और भगवान विष्णु ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिया है। भगवान विष्णु के 24 वें अवतार के बारे में कहा जाता है कि‘

उसने सूर्यदेव की बड़ी तपस्या की। सूर्य देव जब प्रसन्न हो कर प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा तो उसने "अमरत्व" का वरदान माँगा।सूर्यदेव ने कहा यह संभव नहीं है।तब उसने माँगा कि उसे एक हज़ार दिव्य कवचों क

ग्रह अच्‍छे या बुरे प्रभाव कुंडली में अपने स्‍थान के अनुसार देते हैं। यदि जीवन में कुछ परेशानियां हैं और उसका ज्‍योतिषीय समाधान चाहते हैं तो ये जानना बहुत जरूरी है कि आपकी परेशानी किस ग्रह के कारण है।

 1. कायिककायिक कर्म उन कर्मों को कहा जाता है जो काया या शरीर द्वारा किये जाते है। 2. वाचिकजो कर्म वचन या वाणी द्वारा किये जाते है उन्हें वाचिक कर्म कहा जाता है।3. मानसिकमन से सम्पन्न होने वा

मकर संक्रांति पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं का मेला विभिन्न नदियों के घाटों पर लगता है। इस शुभ दिन तिल खिचड़ी का दान करते हैं। वास्तव में स्थूल परम्पराओं मे आध्यात्मिक रहस्य छुपे हुए हैं। अभी कलियुग क

हमारे धर्म शास्त्रों में सोने को सर्वश्रेष्ठ धातु माना गया है इसीलिए देवी-देवताओं के आभूषण, सिंहासन, मूर्तियां, बर्तन आदि पर सोने का आवरण चढ़ाया जाता है। इसकी कांति व चमक सदा बनी रहती है और इसमें जंग

महावीर हनुमान को बाल ब्रह्मचारी कहा जाता है। हालाँकि पुराणों में उनके विवाह का वर्णन है जहाँ उन्हें भगवान सूर्यनारायण की पुत्री सुवर्चला से विवाह करना पड़ा था। किन्तु ये विवाह केवल उनकी शिक्षा पूर्ण कर

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए