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पौराणिक

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प्रथम शक्ति मां शैलपुत्रीपर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात शैलपुत्री की पूजा नवरात्र के प्रथम दिन होती है। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प है। ये नंदी नामक

       एक समय की बात है। किसी नगर में एक राजा राज्य करता था। उसकी दो संतान थी एक राजकुमार और एक राजकुमारी। रानी राजकुमार को बहुत चाहती थी। लेकिन राजकुमारी से नफरत करती थी क्योंकि र

देवाधिदेव महादेव भगवान शिवजी और विष्णु से जुड़ी कईकहानियां पढ़ने को मिलती हैं उन्हीं मेंसे एक है सुदर्शन चक्र की कहानी।संसार में सबसे शक्तिशाली इस चक्र कोभगवान शिव ने ही विष्णु जी को दिया था।खास बात य

हिन्दू धर्म में कामदेव, कामसूत्र, कामशास्त्र और चार पुरुषर्थों में से एक काम की बहुत चर्चा होती है। खजुराहो में कामसूत्र से संबंधित कई मूर्तियां हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या काम का अर्थ सेक्स ही हो

नवरात्रिहिंदू धर्म में नवरात्रि का भी विशेष स्थान है. मां दुर्गा को समर्पित ये नौ दिवसीय पर्व वैसे तो साल में चार बार मनाया जाता है. दो बार गुप्त नवरात्रि और एक चैत्र और दूसरे अश्विन मास के नवरात्रि.न

हिमाचल प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है। इसे देवताओं के घर के रूप में भी जाना जाता है। पूरे हिमाचल प्रदेश में 2000 से भी ज्यादा मंदिर है और इनमें से ज्यादातर प्रमुख आकर्षक का केन्द्र बने हुए है। इन म

1 शैलपुत्र- मां शैलपुत्री प्रकृति की ‘क्रियात्मक’ तथा ‘भू’ तत्वात्मक दो भावों की संचालिका है। शैल-पुत्री अर्थात् पर्वत की पुत्री। पर्वत भू-तत्वात्मक है। अर्थात स्थूल से उत्पन्न होने वाली गति। ‘पृथ्वी’

महाभारत के समय की बात है पाँचों पाण्डवों ने भगवान श्रीकृष्ण से कलियुग के बारे में विचार विमर्श किया और कलियुग के बारे में विस्तार से पुछा और जानने की इच्छा प्रगट की कि कलियुग में मनुष्य कैसा होगा, उ

नवरात्र यानी मां अंबे के नौ रूपों की आराधना में डूब जाने के खास नौ दिन। खुद को पूरी तरह से उन्हें समर्पित कर देने का समय। आपके नवरात्र को खास बनाने के लिए हम लेकर आए हैं, मां की आराधना, आरती और आहार स

 भगवान श्री कृष्ण की 8 पत्नियां थी। प्रत्येक पत्नी से उन्हें 10 पुत्रों की प्राप्ति हुई थी, इस तरह से उनके 80 पुत्र थे। भगवान कृष्ण की पटरानियाँ और उनके पुत्र इस प्रकार हैं :-     

 जड़ भरत जी महाराज के तीन जन्मों का वर्णन श्रीमद भागवत पुराण में आया है। भरत जी की माँ काली ने रक्षा की थी। फिर भरत जी महाराज अब यहाँ से भी आगे चल दिए। एक बार सिन्धुसौवीर देश का स्वामी राजा रहूगण

पूर्व जन्म के कर्मों से ही हमें इस जन्म में माता-पिता,& भाई बहिन, पति-पत्नि, प्रेमिका, मित्र-शत्रु, सगे-सम्बंधी इत्यादि संसार के जितने भी रिश्ते नाते है, सब मिलते है। क्यों कि इन सबको हमें या

सबसे पहले यह समझ लीजिए कि माया और योगमाया यह दोनों भगवान की शक्ति है। जैसा की हम जानते हैं कि शक्ति और शक्तिमान से पृथक नहीं हो सकती। उदाहरण से समझिए आग और आग में जलाने की शक्ति। आग में जलाने की शक्ति

दुर्गा सप्तशती एक ऐसा वरदान है, एक ऐसा प्रसाद है, जो भी प्राणी इसे ग्रहण कर लेता है। वह प्राणी धन्य हो जाता है। जैसे मछली का जीवन पानी में होता है, जैसे एक वृक्ष का जीवन उसके बीज में होता है, वैसे ही

चैत्र कृष्ण की दशमी के दिन महिलाएं दशामाता का व्रत करती हैं। दशमाता व्रत मुख्यरूप से सुहागिन महिलायें घर की दशा ठीक होने के लिए किया जाता है।माना जाता है कि जब मनुष्य की दशा ठीक होती है तब उसके सभी क

जन्म से मृत्युपर्यन्त सोलह संस्कार या कोई शुभ धर्म कृत्य यज्ञ अग्निहोत्र के बिना अधूरा माना जाता है। वैज्ञानिक तथ्यानुसार जहाॅ हवन होता है, उस स्थान के आस-पास रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु शीघ्र नष्ट ह

1.दारुण रात्रिचैत्र शुक्ल प्रतिपदा, चैत्र शुक्ल नवमी, कृष्ण पक्ष की अष्टमी, जेष्ठ शुक्ल तृतीया, आषाढ़ शुक्ल दशमी, भाद्रपदमास की शुद्ध द्वादशी, तृतीया,मार्गशीर्ष मास की द्वितीया&nbs

शिवरात्रि शिव और शक्ति के अभिसरण का विशेष पर्व है। हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है।पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए। उनके क्र

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में पापमोचनी एकादशी व्रत रखा जाता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है।एक साल में कुल 24 एकादशी तिथि पड़ती हैं। लेकिन हर एकादशी का नाम और महत्व अलग-अलग होता है। हिंदू

मानव शरीर में शक्ति अर्थात प्राण के 7 केंद्र या 7 चक्र हैं। इनका अध्यात्म में बहुत अधिक महत्व है। इनकी स्थिति व गुणधर्म को आज हम समझेंगे.......1. मूलाधार चक्र – यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग क

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